Bad Newz Review: विक्की कौशल का धमाल, तृप्ति-एमी भी नहीं कम, हंसते हुए आप भी कहेंगे 'तौबा तौबा'
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बॉलीवुड में कोई फिल्म अच्छी बने न बने, लेकिन कॉमेडी और रोमांस परोसने में उसका कोई जवाब नहीं है. इसमें थोड़ा ड्रामा मिलाकर इमोशन्स का तड़का लगा दिया जाए, तो आए हाए मजा ही आ जाता है. ऐसा ही कुछ डायरेक्टर आनंद तिवारी ने अपनी फिल्म 'बैड न्यूज' के साथ भी किया है. हमारे रिव्यू में जानिए कैसी है ये फिल्म.
बॉलीवुड में कोई फिल्म अच्छी बने न बने, लेकिन कॉमेडी और रोमांस परोसने में उसका कोई जवाब नहीं है. इसमें थोड़ा ड्रामा मिलाकर इमोशन्स का तड़का लगा दिया जाए, तो आए हाए मजा ही आ जाता है. ऐसा ही कुछ डायरेक्टर आनंद तिवारी ने अपनी फिल्म 'बैड न्यूज' के साथ भी किया है.
ये कहानी है सलोनी बग्गा (तृप्ति डिमरी) की, जो मेराकी स्टार शेफ बनने के सपने देखती है. मेराकी स्टार कुछ बेमिसाल शेफ ही अपने करियर में अपने नाम कर पाते हैं. सलोनी अपने सपने की तरफ काम कर ही रही होती है, जब उसकी मुलाकात होती है अखिल चड्ढा (सबतों वड्डा) से. सलोनी शांत स्वभाव की क्रेजी लड़की है तो अखिल (विक्की कौशल) दिल्ली के करोल बाग का टिपिकल हाइपर एक्टिव लौंडा है. पहली बार सलोनी से मिलने के बाद अखिल उसका दीवाना हो जाता है और दोनों के रोमांस की शुरुआत भी हो जाती है. और फिर होती है दोनों की चट-मंगनी पट-ब्याह.
शादी के सलोनी को धीरे-धीरे समझ आता है कि अखिल और वो दोनों बहुत अलग लोग हैं. वो मेराकी स्टार पाने के लिए मेहनत कर रही है और अखिल के सपने कुछ और ही हैं. साथ ही अखिल का अपनी 'मम्मा' के लिए प्यार भी दोनों के बीच आ रहा है. ऐसे में दोनों के बीच दूरियां आ जाती हैं और वो अलग हो जाते हैं. फिर सलोनी की जिंदगी में आता है 'हरीशचंद्र' गुरबीर पन्नू. शांत और शर्मिला गुरबीर, सलोनी को पसंद करता है लेकिन उसका इन चीजों में अपना प्रोसेस है. उस पूरे प्रोसेस को सलोनी नशे में घोलकर पी जाती है और फिर वही होता है, जो नहीं होना चाहिए था.
6 हफ्ते बाद डॉक्टर के ऑफिस में अपनी मां कोरोना मौसी (नेहा धूपिया) के साथ बैठी सलोनी बग्गा को पता चलता है कि वो प्रेग्नेंट है. लेकिन उसके बच्चे का बाप अखिल है या गुरबीर, इसका उसे कोई अंदाजा नहीं है. दोनों को बताने के बाद उसे पता चलता है कि उसकी प्रेग्नेंसी किसी आम प्रेग्नेंसी जैसी नहीं है. उसे ट्विंस हो रहे हैं और उसकी कोख में अखिल और गुरबीर दोनों की औलाद है. इस पूरे मसले को Heteropaternal Superfecundation कहते हैं. बस फिर सियाप्पा शुरू हो जाता है.
बेस्ट पार्ट है कॉमेडी-बैकग्राउंड स्कोर
इस फिल्म का बेस्ट पार्ट इसकी कॉमेडी और बैकग्राउंड स्कोर है. डायरेक्टर आनंद तिवारी ने इस फिल्म को काफी क्रिस्प और मजेदार रखा है. अखिल चड्ढा की एंट्री से लेकर सलोनी संग उसके रोमांस, टकरार और गुरबीर संग अखिल की नोकझोंक तक, हर चीज को देखने में आपको मजा आता है. हर छोटे-बड़े सीन में गहराई और मस्ती का रंग इसका बैकग्राउंड म्यूजिक घोलता है, जो सोने पर सुहागा वाला काम करता है. आनंद तिवारी अपनी फिल्म में आपको बोर नहीं होने देते. लेकिन कभी-कभी महसूस होता है कि ये फिल्म में सबकुछ इतना जल्दी-जल्दी क्यों हो रहा है? वहीं क्योंकि ये करण जौहर के प्रोडक्शन में बनी है तो जाहिर है कि सबकुछ काफी हैप्पी-हैप्पी रहता है. बड़े मसले भी आसानी से हल हो जाते हैं, जो देखते हुए आप समझ पाते हैं कि फिल्मों में ही मुमकिन है.