
Ashadha gupt navratri 2022: 30 जून से शुरू गुप्त नवरात्रि, जानें- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
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नवरात्रि हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. बता दें कि मां दुर्गा को शक्ति का रूप माना जाता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के भक्त व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार आता है, जिनमें शामिल हैं- चैत्र नवरात्रि, शरद नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और माघ गुप्त नवरात्रि.
Ashadha gupt navratri 2022 Date: भारतीय संस्कृति में धर्म की प्रधानता युगों-युगों से प्रसिद्ध है. दैनिक उपासना में कहा गया है- 'कलौ चण्ड विनायकौ' अर्थात कलयुग में गणेशजी व दुर्गाजी की उपासना शीघ्र फलदायी है. क्योंकि गणेशजी विघ्न दूर कर कार्य को पूरा करवाते हैं, वहीं दुर्गाजी शक्ति प्रदान करती हैं जिससे उत्साह, कामना व लक्ष्य की प्राप्ति होती है.
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर विनोद बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार मां दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्रि साल में चार बार आती है. जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि होती है. इसमें से दूसरी गुप्त नवरात्रि आसाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से मनाई जाती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 30 जून 2022, गुरुवार से 9 जुलाई 2022, शनिवार तक मनाई जाएगी. पारण 9 जुलाई, शनिवार को दशमी के दिन होगा.
इस वर्ष माँ शक्ति स्वरूपा डोला(झूला) पर सवार होकर आएंगी और चरणायुधा पैदल जाएंगी. इस प्रकार उनका आगमन एवं गमन दोनों ही अशुभ सूचक हैं. पौराणिक काल से ही गुप्त नवरात्रि में शक्ति की उपासना की जाती है ताकि जीवन तनाव मुक्त रहे. माना जाता है कि जीवन में अगर कोई समस्या है तो उससे निजात पाने के लिए माँ शक्ति के खास मंत्रों के जप से उससे मुक्ति पाई जा सकती है.
गुप्त नवरात्रि शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना मुहूर्त : सुबह 05 बजकर 14 मिनट से 11 बजकर 33 मिनट तकअभिजित मुहूर्त : पूर्वाह्न 11 बजकर 25 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक
ज्योतिषाचार्य डॉ विनोद आगे बताते हैं कि जिस तरह चैत्र और शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. उसी प्रकार माघ एवं आसाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या की उपासना की जाती है. गुप्त नवरात्रि की अवधि में साधक श्यामा (काली), तारिणी (तारा), षोडशी (त्रिपुर सुंदरी), देवी भुवनेश्वरी, देवी छिन्नमस्ता, देवी धूमवाती, देवी बागलमुखी, माता मतंगी और देवी लक्ष्मी (कमला) की आराधना करते हैं. क्योंकि इस नवरात्रि में दस महाविद्या की उपासना गुप्त रूप से होती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि का नाम दिया गया है.

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