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Adani-Hindenburg Case: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को नहीं मान सकते सच... जानें अडानी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा
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हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप मामले (Adani-Hindenburg Case) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट को सत्य बयान के तौर पर नहीं मान सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि इसके लिए सेबी को जांच के लिए कहा है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार यानी आज हिंडनबर्ग रिसर्च और अडानी ग्रुप (Adani Group) मामले की सुनवाई हुई. हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट (Hinenburg Report) में किए गए खुलासे को लेकर याचिकाकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सत्य बयान के तौर पर नहीं मान सकते हैं. शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्यता परखने का कोई साधन नहीं है, जिस कारण उसने SEBI से इस मामले की जांच करने को कहा है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.
SC के बेंच ने कहा कि हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्यात्मक तौर से सही मानने की आवश्यकता नहीं है. सेबी इसकी जांच कर रही है. वहीं दूसरी ओर याचिका दायर करने वालों का कहना है कि बाजार नियामक SEBI की गतिविधियां संदिग्ध हैं, क्योंकि उनके पास 2014 से ही पूरी डिटेल है. उनका दावा है कि खुफिया निदेशालय (DRI) ने 2014 में सेबी अध्यक्ष के साथ पूरी डिटेल शेयर किए थे.
सेबी की जांच पर संदेह के लिए साक्ष्य कहां? Supreme Court की बेंच ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि सेबी (SEBI) की जांच पर संदेह करने वाले साक्ष्य कहां हैं? यह सवाल तब कोर्ट ने किया जब याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सेबी ने जांच पूरी कर ली है, लेकिन खुलासा नहीं किया है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जांच से पहले ही सेबी की जांच का आंकलन कैसे कर सकते हैं.
सेबी ने कहा सिर्फ 10 दिन की देरी में जांच हुई पूरी सेबी के सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि आवेदन दायर किया गया है, जो सेबी के सदस्यों के खिलाफ दावा करता है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सेबी के खिलाफ एक अवमानना याचिका दायर की गई थी, जिसे केवल 10 दिनों की देरी में जांच पूरी कर ली गई है.
कब आई थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट गौरतलब है कि 24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने गौतम अडानी की सभी कंपनियों को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. वहीं अडानी ग्रुप ने इस रिपेार्ट को पूरी तरह से झूठ बताया था. इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में बड़ी तेजी से गिरावट आई थी और इनकी संपत्ति को भी तगड़ा नुकसान हुआ था. बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और अब इस मामले की सुनवाई चल रही है.
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भारतीय शेयर बाजार में मचे हहाकार के पीछे का सिर्फ ट्रंप का टैरिफ प्लान ही नहीं, बल्कि चीन का भी नाम आया है. दरअसल, पिछले साल अक्टूबर से ही विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से खूब निकासी कर रहे हैं. विदेशी निवेशक हर दिन हजार करोड़ों की भारतीय इक्विटी बेच रहे हैं और यह पैसा चीन और अमेरिकी बाजार में जा रहा है.