'72 हूरें' एंटी इस्लाम नहीं, उनकी कौम के हित की फिल्म है, बोले अशोक पंडित
AajTak
72 हूरें को लेकर चर्चा में आए अशोक पंडित ने इस मुलाकात में फिल्म से जुड़े सारे विवादों का जवाब दिया है. अशोक का कहना है कि यह फिल्म एंटी इस्लाम नहीं बल्कि उनके हित में है.
अपनी अपकमिंग फिल्म 72 हूरें को लेकर अशोक पंडित इन दिनों चर्चा में हैं. फिल्म रिलीज से पहले ही फिल्म तमाम तरह की कंट्रोवर्सी से जुड़ गई है. फिल्म को प्रॉपेगेंडा करार दिया जा रहा है. इस बातचीत में अशोक हमसे फिल्म और तमाम विवादों पर चर्चा करते हैं.
आपकी प्रसून जोशी जी से बात हुई. सीबीएफसी को लेकर आपका क्या स्टैंड है? - मैं सीबीएफसी का रिस्पॉन्स देखकर हैरान हूं, कि ये तो वही बातें कर रहे हैं, जो हम कह रहे हैं. हम भी यही कह रहे हैं न कि आपने हमारे ट्रेलर को होल्ड पर रखा है. आपने कुछ सजेशन दिया है कि उन सीन्स को काटने का. हमारा गुस्सा तो इसी बात पर है न कि आपने ट्रेलर को कैसे रिजेक्ट कर दिया है. आप कह रहे हैं कि आप हमें सर्टिफिकेट नहीं दे सकते हो, जबतक आप ट्रेलर का वो हिस्सा काटोगे नहीं. मेरा तो यही कहना है न कि आप जो शॉट्स निकालने को कह रहे हो, वो तो पहले से ही फिल्म में मौजूद है. फिल्म में जब सर्टिफिकेट पास हो चुका है, तो फिर ट्रेलर से आपको क्या दिक्कत है? बल्कि इस फिल्म ने तो नेशनल अवॉर्ड जीता है. कोई फिल्म नेशनल अवॉर्ड जीतती है, तो उसे हर पहलू पर जांचा जाता है न. फिर अचानक से उसी फिल्म को आप रिजेक्ट कैसे कर सकते हो, उसे होल्ड पर रख दिया है. आप किसी सीन को काटने को कह रहे हैं, तो वो रिजेक्शन ही हुआ न. आप क्या जस्टिफिकेशन दिए जा रहे हो. इस तरह से रैडिकल डिसीजन नहीं ले सकते हैं. यहां कोई डिक्टेटरशिप नहीं चल रही है. आपको तब पसंद आया था, अब नहीं आया. ऐसा नहीं होता है न.
'72 हूरें', 'अल्लाह हू अकबर' जैसे लाइन्स फिल्म में हैं. आप कह रहे हैं कि यह फिल्म मजहब से जुड़ा नहीं है?लोगों का आउटरेज रिएक्शन आ रहा है? क्या सफाई देंगे? -इसमें कंट्रोवर्सी की क्या बात है. बात तो सच है न. लोगों ने अल्लाह का नाम लेकर ही ह्यूमन बॉम्ब बनाया है न. मैं कश्मीर में रहा हूं, वहां जब हमें निकाला जा रहा था, वहां के लोग कहते थे कि आजादी चाहिए. आजादी का मतलब क्या 'ला इलाहा इल्लल्लाह..' ये सब तो रिएलिटी है न. आतंकवादी धर्म का इस्तेमाल तो करते ही हैं. मैं तो कहूंगा कि इस कौम के लोगों को इसका विरोध करना चाहिए और लड़ना चाहिए कि हमारे कौम को क्यों बदनाम कर रहे हो. आप हमारी फिल्म को गाली मत तो, यह फिल्म तो आपके कौम के हित में है. उन ताकतों का एक्पोज कर रहे हैं, जो लोगों को धर्म का नाम लेकर मार रहे हैं. वो तो कौम का इस्तेमाल कर रहे हैं. खुद मौलवी अपने वीडियोज में कहते हैं कि 72 हूरें हैं, आप काफीरों को मारो आपको 72 हूरें मिलेंगी.
बाकी धर्म में भी एक्स्ट्रीमिस्ट रहे हैं. आप क्या इनको भी कभी एक्सपोज करने के मकसद से फिल्म बनाएंगे? -मैं हर गलत चीज के खिलाफ रहता हूं. हर आदमी को फिल्म बनाने का हक है. बस प्रॉपर रिसर्च से बननी चाहिए, ये जरूरी है. अगर किसी ने गोधरा बनाई, तो मुझे लगता है कि यह फिल्म सही है, तो मैं उसकी तारीफ करने से नहीं हिचकने वाला हूं. अगर वही मुझे वो अब्सर्ड लगेगी, तो क्रिटिसाइज करने का भी पूरा हक है. हर फिल्ममेकर का हक है कि वो अपने पॉइंट ऑफ व्यू से फिल्म बनाए. फिर तो मैं वही गलती दोहराउंगा, जो अपोजिशन के लोग कर रहे हैं. कई धर्म पर भी फिल्में बनी हैं, बाबाओं पर जितनी फिल्में बनी है, वो तो अनगिनत है. हर फिल्मों में हिंदू बाबा विलेन होते हैं, हमने तो कभी शोर नहीं मचाया है. मैं मानता हूं कि हर फिल्ममेकर को यह रिस्पॉन्सिबिटी लेनी चाहिए कि वो फिल्म को सेंसेशनल न बनाकर उसकी सीरियसनेस पर तवज्जों दी जानी चाहिए. एक पॉलिटिकल पार्टी का फिल्म बनाना और एक डायरेक्टर के फिल्म बनाने में फर्क होना चाहिए.
गुल्लक में हुआ छिनैती सीन रियल लाइफ से था प्रेरित, 'अन्नू की मम्मी' गीतांजलि कुलकर्णी ने किया खुलासा
साहित्य आजतक 2024 में टीवीएफ अरिजिनल्स के हेड श्रेयांश पांडे, एक्ट्रेस एहसास चन्ना और एक्ट्रेस गीतांजलि कुलकर्णी ने बातचीत की. सेशन के मॉडरेटर निखिल नाज रहे, जिन्होंने तीनों सितारों से उनके शो को लेकर मजेदार सवाल किए. सेशन के दौरान एहसास और गीतांजलि ने ऑडियंस के सवाल के जवाब भी दिए और अपने कुछ पर्सनल एक्सपीरिएंस शेयर किए.
Sahitya Aajtak 2024: आजतक पर एक्टर जुनैद खान और डायरेक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा, बताईं कई अनसुनी बातें
Sahitya Aajtak 2024: दिल्ली में 'साहित्य आजतक 2024' का मंच तीसरे दिन भी सजा. जिसमें 'OTT कहानियों से सिनेमा तक' सेशन में बॉलीवुड एक्टर आमिर खान के बेटे जुनैद खान और डायरेक्टर सिद्धार्थ पी मल्होत्रा ने शिरकत की. इस दौरान दोनों ने अपने फ़िल्मी करियर पर विस्तार से बात की. साथ ही कई अनसुनी बातें भी शेयर की. देखें ये वीडियो.
साहित्य आजतक में रवि ने बताया कि 34 साल के करियर में मैंने अपनी पहचान की लड़ाई लड़ी. सारी भाषाओं की फिल्में की, टीवी पर भी देखा. फिर किरण राव मेरी जिंदगी में आईं, जिन्होंने मुझे लापता लेडीज दी. अब जो दिख रहा है ये रवि किशन इसके पीछे बहुत स्ट्रगल रहा है. अब जिसे आप मुंबई कहते हैं उस बॉम्बे की सड़कों को चप्पलों में छान मारा है.