
64 साल में पूरा हुआ तमिल सिनेमा का ड्रीम प्रोजेक्ट 'पोन्नियिन सेल्वन', रेखा के पिता करने वाले थे काम
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डायरेक्टर मणि रत्नम अपना नया मास्टरपीस लेकर आ रहे हैं, जिसका टाइटल 'पोन्नियिन सेल्वन' है. ये फिल्म उस नॉवेल पर आधारित है जिसे 'तमिल साहित्य का महानतम उपन्यास' माना जाता है. कागज से स्क्रीन तक आते-आते कहानी को 64 साल लगे और इस बीच साउथ में शायद ही कोई बड़ा एक्टर बचा हो जिसका नाम फिल्म से न जुड़ा हो!
30 सितंबर तमिल सिनेमा के लिए एक बहुत बड़ा दिन होने वाला है. वजह ये है कि इस दिन 'पोन्नियिन सेल्वन' का पहला पार्ट (PS-1) थिएटर्स में रिलीज होगा. और ये सिर्फ तमिल ही नहीं, बल्कि भारत के सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म प्रोजेक्ट्स में से एक है. ऐसा क्यों है, इसे समझने के कई कारण हैं.
'पोन्नियिन सेल्वन' की कहानी, इसी नाम के तमिल उपन्यास पर आधारित है, जिसे कल्कि कृष्णमूर्ति ने लिखा था. नॉवेल कितना आइकॉनिक है इसे यूं समझिए कि बहुत सारे लोग इसे तमिल साहित्य का महानतम उपन्यास मानते हैं. भारत के इतिहास में सबसे समृद्ध, सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक चोल साम्राज्य की कहानी इस उपन्यास में थी, जो अब स्क्रीन पर आने जा रही है. लेकिन फिल्म सिर्फ तमिल ही नहीं बल्कि हिंदी, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़ में भी डबिंग के साथ रिलीज होगी.
इन दिनों साउथ सिनेमा की तगड़ी फैन हो चुकी हिंदी जनता भी PS-1 का ट्रेलर देखने के बाद कितनी उम्मीद से फिल्म का इंतजार कर रही है, इसका सबूत यूट्यूब पर ट्रेलर का कमेंट बॉक्स है. 'पोन्नियिन सेल्वन' तमिल सिनेमा के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट जैसा है. 500 करोड़ के बजट में बनी, इंडिया की सबसे महंगी फिल्म बताई जा रही 'पोन्नियिन सेल्वन' को स्क्रीन तक लाने का सपना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है और इसे पूरा होने में करीब 64 साल लग चुके हैं. और एक से एक दिलचस्प किरदारों से भरे इस 'मैग्नम ओपस' में साउथ सिनेमा के लगभग हर बड़े नाम पर कभी न कभी विचार हो चुका है. आइए एक्टर्स की कास्टिंग के हिसाब से बताते हैं 'पोन्नियिन सेल्वन' का लंबा सफर:
1. MGR की पहली कोशिश- 1958 इंडियन सिनेमा और पॉलिटिक्स में आइकॉन कहे जाने वाले एम जी रामचंद्रन उर्फ एम.जी.आर (MGR) ने पहली बार 1958 में कल्कि कृष्णमूर्ति के हिस्टोरिकल नॉवेल के राइट्स खरीदे और 'पोन्नियिन सेल्वन' फिल्म अनाउंस की. फिल्म को डायरेक्ट करने के साथ-साथ वो इसमें एक्टिंग भी करने वाले थे. MGR की 'पोन्नियिन सेल्वन' में उस दौर के कई आइकॉन होने वाले थे जैसे- वैजयंतीमाला, जेमिनी गणेशन, पद्मिनी रामचंद्रन, सावित्री, बी. सरोजा देवी.
इतनी बड़ी कास्ट और दिल खोलकर बजट खर्च करने की तैयारी के साथ MGR फिल्म प्लान कर ही रहे थे कि शूट शुरू होने से पहले ही उनका एक्सीडेंट हो गया. उन्हें ठीक होने में ही 6 महीने से ज्यादा लग गए और 'पोन्नियिन सेल्वन' अटक गई. 4 साल बाद उन्होंने एक बार फिर से राइट्स अपने नाम रिन्यू करवाए लेकिन आखिरकार उनका ये ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया.

सेंसर बोर्ड ने 'बैड न्यूज' में विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के तीन किसिंग सीन काटकर करीब 27 सेकंड छोटे किए थे. सेंसर बोर्ड पहले भी फिल्मों में कई 'आपत्तिजनक' सीन्स कटवाता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सेंसर बोर्ड्स 125 साल पहले लगी एक आग की वजह से अस्तित्व में आए? पेश है फिल्म सेंसरशिप का इतिहास.