20 करोड़ की प्रॉपर्टी, दोस्त से दगाबाजी और मर्डर का फुलप्रूफ प्लान... एक कारोबारी के कत्ल की खौफनाक कहानी
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गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर राकेश वार्ष्णेय की मर्डर मिस्ट्री ने पूरे पुलिस महकमें को हलकान कर दिया था. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनकी हत्या किसने और किन परिस्थितियों में की है. लेकिन एक क्लू ने पूरे हत्याकांड के रहस्य का पर्दाफाश कर दिया.
दुनिया की शायद ये पहली ऐसी वारदात होगी, जिसमें मास्टरमाइंड ने हत्याकांड को अंजाम देने से पहले बाकायदा अपने गुर्गों का ऑडिशन लिया. या फिर यूं कहें कि उनका वॉयस टेस्ट करवाया और उन्हें उनकी काबिलियित के हिसाब से काम सौंपा. गुर्गों ने कुछ इसी अंदाज़ में अपने आका के उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश की और फिर मास्टरमाइंड ने एक शख्स के मौत के परवाने पर दस्तखत कर डाला. दिमाग घुमा देने वाली कत्ल की इस साजिश को सिलसिलेवार तरीके से समझने के लिए पूरे मामले को शुरू से जानना होगा.
20 फरवरी, 2024 की बात है. गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर राकेश वार्ष्णेय काम के सिलसिले में घर से बाहर निकले, लेकिन फिर लौट कर नहीं आए. घरवालों ने पहले उनका इंतज़ार किया, लेकिन जब वो लौट कर नहीं आए और उनका मोबाइल फोन भी स्विच्ड ऑफ हो गया, तो उन्होंने उनके दोस्त और उनके साथ पार्टनरशिप में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने वाले राजू उपाध्याय को कॉन्टैक्ट किया. अब चूंकि राजू का राकेश के साथ रोज का उठना बैठना था, तो इस रहस्यमयी गुमशुदगी से राजू भी हैरान हो गया. उसने घरवालों के साथ मिलकर राकेश को ढूंढने की कोशिश शुरू कर दी.
राजू ने बताया कि उसने कई बार राकेश को कॉल किया, लेकिन उसका फोन नॉट रिचेबल आ रहा था. अब राकेश के घरवालों के साथ मिलकर राजू ने अपने दोस्त राकेश की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. लेकिन अभी पुलिस राकेश का कुछ पता लगा पाती, तब तक मामले में ख़तरनाक ट्विस्ट आ गया. राकेश के घरवालों के पास अब अलग-अलग नंबरों से धमकी भरे कॉल आने लगे. कॉल करने वालों ने राकेश को अगवा कर लिए जाने की बात कही और कहा कि अगर उन्होंने पुलिस को बताने की गलती की, तो वो राकेश की हत्या कर देंगे. अब ऐसे फोन कॉल से घरवालों का बुरी तरह डर जाना लाजिमी था.
लिहाज़ा, अब घरवाले चुपचाप राकेश को अगवा करने वाले लोगों के अगले कॉल का इंतजार करने लगे. इधर, वक्त गुजरता रहा, लेकिन ना तो राकेश का कुछ पता चला और ना ही उसे किडनैप करने वाले लोगों ने फिर से उनके घरवालों को कोई कॉल किया, तो उनकी फिक्र बढ़ गई. अब कॉल वाली बात पुलिस तक पहुंची. पुलिस ने उन नंबरों को सर्विलांस पर लेकर उन्हें ट्रेस की कोशिश भी शुरू कर दी, लेकिन दिक्कत ये थी कि जिन भी नंबर से राकेश के घरवालों को एक बार भी कॉल किया गया था, वो सारे के सारे नंबर स्विच्ड ऑफ हो चुके थे. यानी चाह कर भी पुलिस की तफ्तीश आगे नहीं बढ़ रही थी.
अब कत्ल तो हो चुका था. लेकिन तफ्तीश में सच्चाई सामने आ जाने का खतरा था. लिहाज़ा, राजू ने राकेश की गुमशुदगी को अलग-अलग मोड़ देने की कोशिश की और इसी काम के लिए उसने अपने कुछ गुर्गों का ऑडिशन भी लिया था. असल में राजू कुछ ऐसे लोगों को चुनना चाहता था, जिनकी आवाज़ रौबदार हो और जो फोन पर राकेश के घरवालों को राकेश के अपहरण की बात बता कर उन्हें डरा सकें. राजू के गुर्गों ने इस काम को बखूबी किया. पहले राजू के सामने अपना वॉयस टेस्ट दिया और फिर राकेश की हत्या के बाद उसके घरवालों को फोन कर डराते और मामले को उलझाते रहे.
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