
181 साल से जार में बंद है सीरियल किलर की खोपड़ी, 70 से भी ज्यादा लोगों को उतारा था मौत के घाट
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कहानी ऐसे सीरियल किलर की जिसने पुर्तगाल में शुरुआत की छोटी-मोटी लूटपाट से. बाद में पैसा कमाने के लालच में उसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं. एक के बाद एक करके 70 से भी ज्यादा लोगों की बेरहमी से हत्या कर डाली. 181 साल हो गए लेकिन आज भी उसके सिर को एक खास जार में बंद करके रखा गया है. जानें पूरा मामला...
पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में आज भी एक शख्स का सिर पिछले 181 साल से भी ज्यादा समय से जार में सुरक्षित रखा हुआ है. कारण जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. इस शख्स ने कोई ऐसा महान काम नहीं किया था, जिसके चलते उसका सिर जार में सुरक्षित रखा गया है. बल्कि ये शख्स उन खौफनाक सीरियल किलर्स में से एक था, जिसने न जाने कितने मासूम लोगों की बेरहमी से हत्या की थी. वो भी सिर्फ एक सनक के चलते.
ये वो सीरियल किलर है जिसे पुर्तगाल में इस घिनौने कृत्य के लिए फांसी दी गई थी. हालांकि, इसके बाद उस देश में किसी को भी फांसी की सजा कभी नहीं दी गई. इस सीरियल किलर का नाम है- डियोगो एल्विस (Diogo Alves). डियोगो एल्विस का जन्म सन 1819 में स्पेन के गेसेलिया शहर में हुआ था. जब जवान हुआ तो काम की तलाश में पुर्तगाल के लिस्बन पहुंचा. यहां उसने नौकरी की तलाश की. लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली.
भीड़-भाड़ वाले इलाकों में शुरू की लूटपाट इस दौरान वह कुछ ऐसे लोगों से मिला जो कि नौकरी नहीं करते थे. फिर भी ऐश की जिंदगी बिता रहे थे. जब उसने पता लगाया कि वे लोग ऐसा क्या काम करते हैं जिससे उनके पास इतना रुपया है. फिर उसे पता चलता है कि ये लोग छोटे-मोटे क्राइम करके पैसा कमाते हैं. बस यही बात उसके मन में भी बैठ गई. उसने भी तय कर लिया कि वह क्राइम की राह पकड़ेगा और खूब पैसा कमाएगा. फिर डियोगो ने शुरुआत की लूटपाट से. वह अक्सर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाता और लूटपाट की घटनाओं के अंजाम देता.
लालच के चलते बनाया नया प्लान डियोगो की जिंदगी इसी तरह गुजर रही थी. फिर इसके मन में और पैसा कमाने का लालच आया. उसने सोचा कि क्यों ना कोई बड़ा हाथ मारा जाए. डियोगो ने काफी सोचा और एक रिसर्च की. रिसर्च में डियोगो ने पाया कि लिस्बन में 213 फुट ऊंचा एक पुल है. इस पुल के जरिए ही आउटर एरिया में जाया जाता है. इस पुल का इस्तेमाल खेती-बाड़ी करने वाले किसान ज्यादा किया करते हैं. वे लोग आउटर एरिया से शहर आते हैं. वहां फल-सब्जियां बेचकर शाम को इसी पुल से वापस घर लौट जाते हैं.
अकेले किसानों को बनाता था निशान फिर डियोगो ने वहां जाकर पाया कि किसान या तो ग्रुप में वहां से जाते हैं. या इक्का दुक्का किसान कभी-कभी अकेले भी वहां से जाता है. डियोगो ने प्लान बनाया कि जो सबसे अंतिम किसान अकेले शाम के समय वहां से गुजरा करेगा, वह उसी को अपना निशाना बनाएगा. ताकि पकड़े जाने का खतरा न हो. उसने फिर अपना काम शुरू कर दिया. अक्सर वह अकेले जा रहे किसान पर अचानक से टूट पड़ता. फिर सारे पैसे लूटकर किसान को पुल से धक्का देकर नीचे फेंक देता.
रोज पुल पर घात लगाकर बैठता था डियोगो उसे पूरा यकीन था कि 213 फुट की ऊंचाई से गिरने के बाद किसान की मौत होना तय है. इसी तरह डियोगो ने उसी पुल को अपना ठिकाना बना लिया. वह रोज घात लगाकर वहां बैठ जाता. फिर अकेले जा रहे किसान को लूटकर इसी तरह मार डालता. वह रोज लूटपाट की घटना को अंजाम नहीं देता. लूट में उसे पैसा ज्यादा मिल जाता तो वह उन पैसों से कुछ दिन अपना खर्चा चलाता और लूट की घटना को कुछ समय के लिए विराम दे देता. लेकिन अगर उसे पैसा कम मिलता तो वह रोजाना वहां घात लगाकर किसानों को शिकार बनाता जब तक कि उसके पास ज्यादा पैसे ना आ जाएं.

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