हेमंत सोरेन को ED की जांच का सामना करना होगा, अदालत से कोई राहत नहीं मिलेगी: भाजपा
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भाजपा प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हेमंत सोरेन ईडी की जांच से भाग रहे हैं. उन्हें सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. मुझे विश्वास है कि उन्होंने जिस तरह का भ्रष्टाचार किया है, उन्हें किसी भी अदालत से कोई राहत नहीं मिलेगी. उन्हें जांच का सामना करना होगा. उनके कारनामे लोगों के सामने आएंगे.'
भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना करना पड़ेगा. भाजपा ने कहा कि उन्होंने अपने राज्य में ‘जिस तरह का भ्रष्टाचार’ किया है, उससे उन्हें किसी भी अदालत से कोई राहत नहीं मिलेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी के समन के खिलाफ सोरेन की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सोरेन को इस मामले में राहत के लिए झारखंड उच्च न्यायालय जाने की छूट दी.
भाजपा प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हेमंत सोरेन ईडी की जांच से भाग रहे हैं. उन्हें सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. मुझे विश्वास है कि उन्होंने जिस तरह का भ्रष्टाचार किया है, उन्हें किसी भी अदालत से कोई राहत नहीं मिलेगी. उन्हें जांच का सामना करना होगा. उनके कारनामे लोगों के सामने आएंगे.'
सोरेन ने 14 अगस्त को रांची में संघीय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने और धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए भेजे गए समन को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा के 48 वर्षीय नेता से ईडी ने राज्य में कथित अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य मामले में पिछले साल 17 नवंबर को नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी.
केंद्रीय जांच एजेंसी एक दर्जन से अधिक भूमि सौदों की जांच कर रही है, जिसमें रक्षा भूमि से संबंधित एक सौदा भी शामिल है, जिसमें माफिया, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने कथित तौर पर 1932 के जाली विलेखों और दस्तावेजों को तैयार करने के लिए मिलीभगत की थी. ईडी ने सोरेन के राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा सहित राज्य में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया है.
सोरेन को शुरू में ईडी ने तीन नवंबर, 2022 को तलब किया था, लेकिन वह आधिकारिक व्यस्तताओं का हवाला देते हुए उपस्थित नहीं हुए. उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी को उन्हें गिरफ्तार करने की चुनौती दी थी और फिर समन को तीन सप्ताह के लिए टालने की मांग की थी.
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