हार का विकल्प 'जीत' है, खुदकुशी नहीं, बच्चे को मजबूत बनाने में पेरेंट्स का होता है ये रोल
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World Suicide Prevention Day 2023: अगर आप बच्चे की परवरिश उसके परफॉर्मेंस के आधार पर प्यार या गुस्सा दिखाकर नहीं करते हैं तो यकीन मानिए आपके बच्चा पढ़ने में भले ही औसत हो, लेकिन वो एक बेहतर व्यक्ति बनेगा. बच्चे अगर घर से तुलना करना नहीं सीखेंगे तो वो खुद भी कभी दूसरों से अपनी नकारात्मक रूप से तुलना नहीं करेंगे, इस तरह उनमें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रहेगी.
जिंदगी अनमोल है, यह किसी कॉम्पिटिशन में फेल होने या हार पर गवां देना वाला विकल्प कतई नहीं है. लेकिन कई लोग इसे छोटी-छोटी बात पर दांव पर लगा देते हैं. खासकर बच्चे बहुत कम उम्र में छोटी-छोटी असफलताओं से हारकर जिंदगी से हार जाते हैं और सुसाइड जैसा खतरनाक रास्ता चुन लेते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में वर्तमान में हर साल लगभग 7 लाख लोग सुसाइड कर लेते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया था भारत में आत्महत्या की दर 2020 में 11.3 से बढ़कर 2021 में चिंताजनक 12 हो गई है. वहीं 2023 अगस्त महीने तक राजस्थान के कोटा में ही 22 छात्रों ने सुसाइड कर लिया है. इसलिए लोगों को जिंदगी का मोल समझना जरूरी हो गया है. इसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी माता-पिता की है.
जिंदगी के मायने समझाने और आत्महत्या को रोकने के लिए रणनीतियों की ओर जागरूक करने के लिए हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है. छात्रों को जिंदगी के मायने समझाने में माता-पिता का रोल सबसे ज्यादा है. उन्हें सबसे पहले बच्चे की परवरिश में उसके परफॉर्मेंस के आधार पर प्यार या गुस्सा करना छोड़ना होगा.
World Suicide Prevention Day 2023: स्टूडेंट्स सुसाइड के पीछे होती हैं ये भी वजहें, ये उलझन सुलझाना जरूरी
भले ही उसका परफॉरमेंस उतना बेहतर नहीं है जितना आप चाहते हैं, लेकिन वो एक बेहतर व्यक्ति बनेगा. बच्चे अगर घर से तुलना करना नहीं सीखेंगे तो वो खुद भी कभी दूसरों से अपनी नकारात्मक रूप से तुलना नहीं करेंगे, इस तरह उनमें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रहेगी. बच्चे को एंजाइटी और डिप्रेशन से दूर रखने के लिए आपका उसका दोस्त होना जरूरी है. तभी तनाव या परेशानी के वक्त आप उसके हावभाव या संवाद से उसे समझ सकते हैं. इसी आधार पर उन्हें समझा सकते हैं.
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