
हाथीराम की ढीली शर्ट, मंजू का स्ट्रगल, सैलरी का दर्द... रियल पुलिस इंस्पेक्टर ने किया 'पाताल लोक 2' का रिव्यू
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जनता को तो 'पाताल लोक 2' इम्प्रेस कर ही रहा है और इसे खूब पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल रहा है. मगर एक पुलिस ऑफिसर के नजरिए से 'पाताल लोक' कितना रिलेटेबल है? एक रियल लाइफ कॉप इस शो को किस नजरिए से देखता है? एक रियल पुलिस ऑफिसर ने हमारे साथ इस शो का अपना रिव्यू शेयर किया है.
भारत के सबसे दमदार ओटीटी शोज में से एक 'पाताल लोक' का दूसरा सीजन 5 साल बाद आया है. इस शो के हीरो इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी (जयदीप अहलावत) एक नए केस की इन्वेस्टिगेशन में घुस चुके हैं और ये नया सीजन जनता को बहुत इम्प्रेस कर रहा है.
'पाताल लोक' अपने मूल स्वभाव में एक पुलिस प्रोसीजरल ड्रामा है. इसके दोनों सीजन की कहानियां पुलिस इन्वेस्टिगेशन पर बेस्ड हैं और मुख्य किरदार पुलिस ऑफिसर्स हैं. जनता को तो शो इम्प्रेस कर ही रहा है और इसे खूब पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल रहा है. मगर एक पुलिस ऑफिसर के नजरिए से 'पाताल लोक' कितना रिलेटेबल है? एक रियल लाइफ कॉप इस शो को किस नजरिए से देखता है?
ये जानने के लिए हमने एक रियल पुलिस ऑफिसर से बात की, जिन्होंने 'पाताल लोक' के दोनों सीजन देखे हैं. नाम गोपनीय रखने की शर्त पर उन्होंने बताया कि हाथीराम चौधरी की लाइफ और रियल पुलिस ऑफिसर के लाइफ में कितनी समानताएं होती हैं. शो में एक महिला पुलिसकर्मी मंजू का किरदार उन्हें क्यों बहुत पसंद है और 'पाताल लोक 2' उन्हें कैसा लगा.
हाथीराम की ढीली शर्ट का लॉजिक जिन ऑफिसर से हमने बात की वो दिल्ली पुलिस में एक सीनियर इंस्पेक्टर हैं और दिल्ली के कई पुलिस थानों में स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) भी रह चुके हैं. उन्होंने 'पाताल लोक 2' एक ही बार में पूरा निपटाया है. शो के दूसरे एपिसोड में एक सीन है जब हाथीराम, अब अपने सीनियर बन चुके इमरान अंसारी (इश्वाक सिंह) के सामने एक बहुत कड़क सैल्यूट मारता है. रियल कॉप ने हमें बताया कि दिल्ली पुलिस के एक ऑफिसर के किरदार में जयदीप अहलावत का 'बॉडी स्ट्रक्चर तो ठीक है, बस सैल्यूट मारते हुए उनकी छोटी उंगली बाहर जाती है.'
'पाताल लोक' के दोनों सीजन में हाथीराम का किरदार जब भी कैजुअल अंदाज में दिखता है तो उसकी शर्ट कभी पैंट के अंदर दबाई हुई नहीं दिखती. पुलिस वालों को अक्सर देखने वाले जानते हैं कि महकमे में ये स्टाइल बहुत कॉमन है. मगर इसके पीछे भी एक बहुत सॉलिड लॉजिक है.
पुलिस ऑफिसर ने हमें बताया, 'इसका कारण ये है कि ड्यूटी वाली कई जगहों पर आपके पास कपड़े चेंज करने की फैसिलिटी नहीं होती और आपने सिविल काम भी करने हैं. तो हम अपनी वर्दी वाली पैंट, जिसमें वर्दी वाली बेल्ट लगी होती है, उसे छुपाने के लिए शर्ट बाहर कर लेते हैं. क्योंकि खाकी पैंट तो शर्ट्स के साथ कैजुअल में चल जाती है लेकिन वो बेल्ट दूर से ही पहचान में आ जाती है. इसीलिए आपको जनरली ऐसा लगता होगा कि पुलिसवाले बड़े ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं.'

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