साउथ में हिंदी फिल्मों का सेंसेक्स, कितना मुनाफा, कितना नुकसान? ये है पूरा सच
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शाहरुख खान की 'जवान' थिएटर्स में शानदार कमाई कर रही है. हिंदी के साथ-साथ 'जवान' तमिल और तेलुगू में भी रिलीज हुई है. फिल्म के तमिल-तेलुगू वर्जन की कमाई को, हिंदी वर्जन के कलेक्शन के सामने रखकर ये बहस चल पड़ी है कि साउथ में हिंदी फिल्में कम देखी जा रही हैं. लेकिन क्या ऐसा है? आइए बताते हैं.
थिएटर्स में शाहरुख खान की नई फिल्म 'जवान' ताबड़तोड़ कमाई कर रही है. फिल्म का वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन 700 करोड़ का आंकड़ा पार करने वाला है. जबकि भारत में फिल्म का नेट कलेक्शन शुक्रवार को 400 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंचने वाला है. 'जवान' एक पैन इंडिया रिलीज है और इसे हिंदी के साथ-साथ तमिल और तेलुगू डबिंग में भी रिलीज किया गया है.
गुरुवार तक, थिएटर्स में बिताए अपने 8 दिनों में 'जवान' ने अधिकतर कमाई हिंदी वर्जन से की है. 8 दिन में फिल्म के हिंदी वर्जन ने भारत में 348 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है और तमिल-तेलुगू वर्जन से फिल्म ने 42 करोड़ रुपये कमाए हैं. हिंदी वर्जन के मुकाबले, बाकी दोनों वर्जन से फिल्म की कमाई का आंकड़ा काफी छोटा नजर आता है. और इसी आधार पर सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है. बहस का मुद्दा ये है कि साउथ के दर्शक बॉलीवुड फिल्में देखना नहीं पसंद करते. जबकि उत्तर भारत में, साउथ की इंडस्ट्रीज में बनी फिल्मों को जनता ने बहुत प्यार दिया है.
इस बात पर जोर देने के लिए 'बाहुबली 2' 'KGF 2' और 'पुष्पा' जैसी फिल्मों के हिंदी वर्जन की कमाई को सामने रखा जा रहा है. आइए आपको बताते हैं कि इस बहस में कितना दम है और क्या सच में साउथ के दर्शक, हिंदी फिल्में देखना कम पसंद कर रहे हैं?
कमाई को देखने का गड़बड़ लॉजिक इस पूरी बहस में सबसे बड़ी गलती ये है कि हिंदी फिल्मों के तेलुगू-तमिल डबिंग वाले वर्जन की कमाई देखी जा रही है. ये अपने आप में भाषाओं को लेकर पूर्वाग्रह रखने वाले आईडिया पर बेस्ड कैलकुलेशन है. हिंदी सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं, पूरे देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. साउथ के राज्यों में जनता की प्राइमरी भाषा भले तेलुगू, तमिल, मलयालम या कन्नड़ हो, लेकिन काम चलाने भर हिंदी भी बहुत लोग समझते हैं.
जबकि इसकी तुलना में एक उत्तर भारतीय दर्शक को साउथ की चारों बड़ी भाषाओं में से एक आने का चांस थोड़ा कम रहता है. साउथ के मेकर्स के लिए गणित सीधा है, हिंदी समझने वाले ज्यादा हैं, तो फिल्म को हिंदी में डब करके साउथ के बाहर रिलीज करने पर ऑडियंस ज्यादा मिलेगी. लेकिन बॉलीवुड फिल्में जब साउथ में रिलीज होती हैं तो हिंदी में ही ठीकठाक ऑडियंस मिल जाती है. डबिंग तो इस ऑडियंस तक पहुंच बढ़ाने की कोशिश है.
बॉलीवुड में बनी फिल्मों को साउथ में भी हिंदी वर्जन में ही ज्यादा स्क्रीन्स मिलती हैं. इसलिए फिल्मों की कमाई को देखने का सबसे सही तरीका डबिंग वर्जन के कलेक्शन देखना नहीं, बल्कि मार्किट के हिसाब से कलेक्शन देखना है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में बॉलीवुड फिल्मों का हिंदी कलेक्शन देखना ही सही तस्वीर पेश करता है.