'सहिष्णुता का टेस्ट लेंगे क्या?', आदिपुरुष मेकर्स-सेंसर बोर्ड को इलाहाबाद HC की फटकार
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हाई कोर्ट ने पूछा- क्या सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी निभाई? ये तो अच्छा है कि ये उस धर्म के बारे में है, जिसे लोगों ने कोई पब्लिक ऑर्डर का प्रॉब्लम क्रिएट नहीं किया. यहां तो भगवान राम, हनुमान और सीता मां को ऐसे दिखाया गया है, जैसे क्या ही हैं.
आदिपुरुष मेकर्स की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. रिलीज के दस दिन बाद भी फिल्म पर जारी विवाद थम नहीं रहा बल्कि और बढ़ता जा रहा है. फिल्म के डायलॉग्स को लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई थी. लेकिन अब ये मामला कोर्ट जा पहुंचा है. इलाहबाद हाई कोर्ट ने राइटर मनोज मुंतशिर शुक्ला को आपत्तिजनक डायलॉग्स और फिल्म मेकर को विवादित सीन्स के लिए नोटिस भेजा है.
सेंसर बोर्ड को लगाई लताड़
27 जून को हुई सुनवाई में अदालत ने फटकार लगाते हुए सीबीएफसी यानी सेंसर बोर्ड की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि आपत्तिजनक दृश्यों, कपड़ों और सीन्स के बारे में क्या किया जा रहा है? अगर हम लोग इस पर भी आंख बंद कर लें क्योंकि ये कहा जाता है कि ये धर्म के लोग बड़े ही सहिष्णु हैं तो क्या उसका टेस्ट लिया जाएगा? क्या यह सहनशीलता की परीक्षा है? यह कोई प्रोपेगेंडा के तहत की गई याचिका नहीं है.
साथ ही हाई कोर्ट ने पूछा- क्या सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी निभाई? ये तो अच्छा है कि ये उस धर्म के बारे में है, जिसे लोगों ने कोई पब्लिक ऑर्डर का प्रॉब्लम क्रिएट नहीं किया. यहां तो भगवान राम, हनुमान और सीता मां को ऐसे दिखाया गया है, जैसे क्या ही हैं.
आदिपुरुष टीम को जारी नोटिस
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि आदिपुरुष फिल्म में मां सीता, हनुमान और बाकि पौराणिक पात्रों का चित्रण आपत्तिजनक है. इसी वजह से फिल्म निर्माता, संवाद लेखक को नोटिस जारी किया गया है. वहीं सीबीएफसी से यह बताने को कहा गया है कि रिलीज की अनुमति देने से पहले क्या कदम उठाए गए थे?