संसद में 27 साल पहले हुआ था पेश... जानिए कब-कब सदन में रोका गया महिला आरक्षण बिल
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1996 में पटल पर रखे जाने से लेकर साल 2010 में राज्यसभा से पास होने तक महिला आरक्षण विधेयक कई बार सदन से ठुकराया गया. इसका सिलसिला 12 सितंबर 1996 से शुरू होता है. बिल को पटल पर रखा गया, विरोध के कारण पास नहीं हो सका. इसी तरह 1999, 2003, 2004 और 2009 में बिल के पक्ष में माहौल नहीं बन सका, लिहाजा ये विधेयक पास नहीं हो सका.
संसद के विशेष सत्र के बीच कैबिनेट की अहम बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है. इस बिल को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था. सवाल है कि क्या इस मंजूरी के बाद महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा. करीब 27 सालों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अब फिर से संसद के पटल पर आएगा. इस मुद्दे पर आखिरी बार कदम 2010 में उठाया गया था, जब राज्यसभा ने हंगामे के बीच बिल पास कर दिया था और मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था, जिन्होंने महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का विरोध किया था. हालांकि यह विधेयक रद्द हो गया क्योंकि लोकसभा से पारित नहीं हो सका था.
संसद के विशेष सत्र में बिल के पेश होने की थी चर्चा महिला आरक्षण बिल पर चर्चा इसलिए फिर से जोर पकड़ चुकी है, क्योंकि ये पहले से अटकलें थीं कि संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल को पेश किए जाने की संभावना है. इसी सितंबर महीने की 12 तारीख को इस बात को पूरे 27 साल हो गए हैं, जब संसद के पटल पर पहली बार 1996 में महिला आरक्षण बिल रखा गया था. उस दौर में सरकार एचडी देवगौड़ा की थी. वह पीएम थे और महिला आरक्षण बिल को विरोधों का सामना करना पड़ा था.
साल 2017 में सोनिया गांधी ने लिखी थी पीएम मोदी को चिट्ठी 1996 के बाद कई बार महिला आरक्षण विधेयक पटल पर रखा गया और हर बार इसे विरोध का ही सामना करना पड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव से भी दो साल पहले यानी 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने पीएम मोदी के नाम इसे लेकर चिट्ठी लिखी थी. महिला आरक्षण बिल 2010 में राज्यसभा से पास होने के बाद भी लोकसभा में पेश नहीं हो सका है. इसी वजह से अभी तक ये बिल अधर में लटका हुआ है.
कब-कब सदन में रोका गया बिल 1996 में पटल पर रखे जाने से लेकर साल 2010 में राज्यसभा से पास होने तक महिला आरक्षण विधेयक कई बार सदन से ठुकराया गया. इसका सिलसिला 12 सितंबर 1996 से शुरू होता है. बिल को पटल पर रखा गया, विरोध के कारण पास नहीं हो सका, फिर बिल को वाजपेयी सरकार में पटल पर लाया गया था, लेकिन उस साल भी बात नहीं बनी. इसी तरह 1999, 2003, 2004 और 2009 में बिल के पक्ष में माहौल नहीं बन सका, लिहाजा ये विधेयक पास नहीं हो सका.
12 सितंबर 1996- महिला आरक्षण विधेयक को पहली बार एचडी देवगौड़ा सरकार ने 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में संसद में पेश किया. इसके बाद ही देवगौड़ा सरकार अल्पमत में आ गई और 11वीं लोकसभा को भंग कर दिया गया. विधेयक को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया. इस समिति ने नौ दिसंबर 1996 को लोकसभा को अपनी रिपोर्ट पेश की.
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