लेबनान: रोजा खोलने के लिए नहीं मिल रहा मिठाई-खाना, प्याज खाकर तोड़ते हैं उपवास
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सीरिया के शरणार्थी विस्थापित के रूप में लेबनान के आर्थिक संकट के बीच फंसे हुए हैं. रोजा रखने के बाद जहां शाम को उत्सव के तौर इफ्तार की जाती है और रोजा खोला जाता है वहां इसके लिए भी लेबनान में ऐसे लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है.
रमजान का पाक महीना शुरू हो चुका है और दुनिया भर के मुस्लिम लोग इन दिनों रोजा रखते हैं और शाम को इफ्तार करते हैं, लेकिन इस पवित्र महीने में भी लेबनाना में शरण लेने वाले सीरिया के लोगों के लिए रोजा रखना भी कठिन साबित हो रहा है. ( सभी तस्वीर - AP) लेबनान में आर्थिक बदहाली के बीच हालात इतने बदतर हैं कि लोगों को इफ्तार के लिए भोजन और मिठाई तक नहीं मिला पा रहा है. सीरिया के शरणार्थी विस्थापित के रूप में लेबनान के आर्थिक संकट के बीच फंसे हुए हैं. रोजा रखने के बाद जहां शाम को उत्सव के तौर इफ्तार की जाती है और रोजा खोला जाता है वहां इसके लिए भी लेबनान में ऐसे लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है. न्यूज एजेंसी एपी को ऐसे ही एक ऐसी ही लाचार महिला अल आबेद ने कहा, यह एक बहुत मुश्किल रमजान है, जहां इस दौरान बेहतर भोजन मिलना चाहिए वहीं उसके बाद हमें कुछ नहीं मिलता. पूरे दिन के उपवास के बाद शरीर को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है. मैंने हार मान ली है”Drone Delivery: ड्रोन का इस्तेमाल अब खेती से लेकर डिलीवरी और युद्ध तक में हो रहा है. हालांकि, शहरों और रिमोट एरिया में ड्रोन डिलीवरी में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. इसकी वजह इनकी पहुंच का आसान होना है. जहां रिमोट एरिया में रास्तों की चुनौती होती है, तो शहरों में ट्राफिक इन रास्ते का रोड़ा होता है. ऐसे में ड्रोन्स कैसे डिलीवरी के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं.
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