लाल बत्ती की हसरत, 'मैडम सर' का भौकाल, फर्जीवाड़े की फेहरिस्त... इस गलती ने डुबोई IAS पूजा खेडकर की लुटिया!
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एक पुरानी कहावत है कि मुजरिम कितना भी शातिर क्यों न हो, एक गलती जरूर करता है. उसी एक गलती की वजह से उसका सारा भांडा फूट जाता है. ये कहानी पूजा खेडकर की है, जो चंद रोज पहले तक आईएएस की ट्रेनिंग कर रही थी. उनका हर तरफ जलवा ही जलवा था.
एक पुरानी कहावत है कि मुजरिम कितना भी शातिर क्यों न हो, एक गलती जरूर करता है. उसी एक गलती की वजह से उसका सारा भांडा फूट जाता है. ऐसी ही एक गलती पूजा खेडकर ने की, जो चंद रोज पहले तक आईएएस की ट्रेनिंग कर रही थी. उनका हर तरफ जलवा ही जलवा था. आईएएस मैडम की शान में पीछे खड़े पुलिस वाले, लाल नीली बत्ती वाली कार और नंबर प्लेट के ऊपर लिखा महाराष्ट्र सरकार, उनका भौकाल देखकर आम लोग सहम जाते थे. लेकिन उनको सरकारी लाल बत्ती वाली गाड़ी का इस कदर शौक था कि उसे पाने के लिए कुछ दिनों का इंतजार भी भारी पड़ रहा था.
बस इसी लाल नीली बत्ती ने उनकी बत्ती ऐसी गुल कर दी कि आईएएस मैडम साहिबा को अब जेल जाने से कोई रोक ही नहीं सकता. महीने भर से पूरे देश में डॉक्टर बनाने वाले नीट एग्जाम की धांधली को लेकर यूं ही हंगामा मचा हुआ है. अब उसी हंगामे के बीच खामोशी से यूपीएससी एग्जाम की धांधली को लेकर ऐसा शोर उठा है कि देखते ही देखते ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर का नाम हर चैनल और अखबारों की सुर्खियों में है. यूपीएससी की जांच में पता चला है कि पूजा ने परीक्षा में चयन के लिए नियमों के तहत मान्य अधिकतम सीमा से भी अधिक बार परीक्षा दी और उसका लाभ उठाया है.
यूपीएससी जांच से यह पता चला है कि पूजा खेडकर ने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी फर्जी पहचान बनाकर स्वीकार्य सीमा से अधिक प्रयास का धोखाधड़ी से लाभ उठाया. यूपीएससी ने उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का फैसला किया है. इसके तहत थाने में एफआईआर कराई जा रही है. सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नियमों के तहत उनकी उम्मीदवारी रद्द करने और भविष्य की परीक्षाओँ में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की इस जांच से साफ हो गया है कि आईएएस बनने के लिए पूजा खेडकर ने तमाम तरह की धोखाधड़ी की है. दरअसल यूपीएससी के एग्जाम में बैठने के लिए अलग-अलग कैटेगरी के तहत उम्मीदवारों को अलग-अलग मौके मिलते हैं. मसलन जनरल कैटेगरी का कोई भी उम्मीदवार 32 साल की उम्र से पहले तक कुल छह बार यूपीएससी का एग्जाम दे सकता है. ओबीसी कैटेगरी के तहत 35 साल की उम्र तक कुल 9 बार इम्तेहान देने की छूट है. जबकि एससी और एसटी कोटा के तहत 37 साल की उम्र तक यूपीएससी के इम्तेहान में बैठा जा सकता है.
पूजा खेडकर ने एग्जाम क्लीयर करने के लिए तय सीमा से ज्यादा बार इम्तेहान दिया है. इसके लिए हर बार उसने नए नाम और नए पहचान का सहारा लिया. यहां तक कि इम्तेहान में बैठने के लिए अपने मां-बाप का नाम तक बदल डाला. लेकिन ये धोखाधड़ी तो कुछ भी नहीं है. असली फर्जीवाड़ा तो कुछ और ही है. दरअसल पूजा ने साल 2022 में यूपीएससी का एग्जाम क्लीयर किया था. ऑल इंडिया रैंक था- 841. चूंकि वो इम्तेहान में ओबीपीसी नॉन क्रीमी लेयर के कोटे से बैठी थी और साथ ही दिव्यांगता को कोटे से आई थी, लिहाजा 841 रैंक के बावजूद उन्हें आईएएस की कैटेगरी में रखा गया था.
इसके बाद में ट्रेनिंग के लिए सभी कामयाब छात्रों के साथ पूजा खेडकर भी मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी पहुंची. दो साल की ट्रेनिंग में अब कुछ महीने ही बचे थे. इसी बीच उन्हें ट्रेनी आईएएस अफसर के तौर पर असिस्टेंट कलेक्टर बना कर पुणे कलेक्टरेट ऑफिस में तैनाती दे दी गई. बस यहीं से असली कहानी शुरू हुई. हुआ यूं कि पुणे के कलेक्टर के ऑफिस में तैनाती का लेटर मिलते ही पूजा ने कलेक्टर के ऑफिस इंचार्ज को पहले फोन किया और फिर व्हाट्स एप मैसेज. उसने कहा कि वो वहां चार्ज लेने आ रही है. इसलिए उसके लिए उसके लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं कर दी जाएं.
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