रोहतक मेडिकल कॉलेज में क्यों बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ हैं MBBS छात्र? जानें पूरा मामला
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हरियाणा सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक नई पॉलिसी लागू की है. इसके तहत हर छात्र को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी अस्पतालों में ही कम से कम 7 साल सेवाएं देनी होंगी. ऐसा न करने पर छात्र को बॉन्ड के अनुसार 40 लाख रुपये सरकार को देने होंगे...
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने आज 10 नवंबर को हरियाणा के रोहतक में MBBS छात्रों के बॉन्ड की नीति के विरोध को अपना समर्थन दिया. हरियाणा सरकार की नई नीति के अनुसार, मेडिकल कोर्स में दाखिले के दौरान छात्र को लगभग 10 लाख रुपये (4 वर्ष के 40 लाख) के बॉन्ड पर हस्ताक्षर करना जरूरी है. IMA का कहना है कि इस तरह की प्रणाली को या तो रद्द कर दिया जाना चाहिए या संशोधित किया जाना चाहिए.
आईएमए ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से आग्रह किया है कि सरकार और छात्रों दोनों के हितों का ध्यान रखते हुए बांड सिस्टम को खत्म या संशोधित किया जाना चाहिए. आईएमए ने कहा, 'देश इस बात से हैरान में है कि इस तरह के कदमों का विरोध करने के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए, छात्र पुलिस की बर्बर कार्रवाई का शिकार हुए. महिला डॉक्टरों के साथ हाथापाई की गई. राज्य पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और ठंडी रात में उनपर पानी की बौछारें की. यह घटना न केवल राज्य में और विशेष रूप से देश में डॉक्टरों के मनोबल को नीचे लाएगी, बल्कि डॉक्टरों और सरकार के बीच की खाई को भी चौड़ा करेगी.
क्या है पूरा मामला हरियाणा सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक नई पॉलिसी लागू की है. इसके तहत हर छात्र को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी अस्पतालों में ही कम से कम 7 साल सेवाएं देनी होंगी. ऐसा न करने पर छात्र को बॉन्ड के अनुसार 40 लाख रुपये सरकार को देने होंगे.
सरकार के इस फैसले के विरोध में रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी (PGIMS), रोहतक के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. कॉलेज की दीक्षांत समारोह में सीएम खट्टर के दौरे से पहले पुलिस ने बलपूर्वक प्रर्दशन कर रहे छात्रों को हिरासत में ले लिया. इसके बाद से मामले ने और तूल पकड़ लिया.
क्या है सरकार का पक्ष राज्य सरकार का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में अभी भी लगभग 28 हजार डॉक्टरों की जरूरत है. ऐसे में अगर कॉलेजों से पढ़कर स्टूडेंट्स बाहर चले जाएंगे और प्राइवेट कॉलेजों में प्रैक्टिस करने लगेंगे तो सरकारी अस्पतालों का भार कम नहीं होगा. इसीलिए सभी मेडिकल स्टूडेंट्स से कम से कम 7 साल के लिए सरकारी अस्पतालों में काम करने का बॉन्ड भरवाया जा रहा है.
दिल्ली के डॉक्टरों ने भी दिया समर्थन दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने भी सोमवार को हरियाणा के रोहतक में MBBS छात्रों के साथ एकजुटता दिखाते हुए बांड नीति का विरोध करते हुए काम पर काले रिबन पहने थे. मुख्यमंत्री खट्टर ने 02 नवंबर को कहा था कि सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस में दाखिले के समय किसी भी छात्र को 10 लाख रुपये के बांड की राशि जमा नहीं करनी होगी. हरियाणा सरकार के एक बयान के अनुसार, उन्हें इसके बजाय कॉलेज और संबंधित बैंक के साथ राशि के बांड-सह-ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे.
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