रेलवे स्टेशनों की सूरत बदल रहा 'इंजीनियर', योगी आदित्यनाथ भी थपथपा चुके हैं पीठ
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नीलेश नागर ने वॉल पेंटिंग की मदद से कई रेलवे स्टेशनों का सुंदरीकरण किया है. उनके काम की चर्चा भारत के बाहर नॉर्वे में भी है जहां वह काम कर चुके हैं. उन्हें अयोध्या के सुंदरीकरण का भी काम मिला था जिसे उन्होंने पहली बार में मना कर दिया था. हालांकि, बाद में उन्होंने वही काम तय समय में पूरा किया.
इंदौर के रेलवे स्टेशन पर जो भी पहली बार उतरता है, कुछ देर रुक कर दीवार पर बनी पेंटिंग्स जरूर निहारता है. रेलवे स्टेशन की इन दीवारों में जान फूंकने वाले कलाकार हैं निलेश नागर. इंदौर का रेलवे स्टेशन नीलेश के काम का एक बहुत छोटा सा उदाहरण है. उन्होंने न सिर्फ देश में, बल्कि नॉर्वे तक अपने काम से पहचान बनाई है. निलेश बताते हैं कि उनका एक ही मकसद है कि किसी भी जगह की संस्कृति के हिसाब से उसे खूबसूरत बनाना. खास बात ये भी है कि नीलेश पेशे से इंजीनियर हैं.
पटना रेलवे स्टेशन की हालत से हुए परेशान निलेश बताते हैं कि ये काम शुरू करने से पहले वह एक इंजीनियरिंग कंपनी में काम करते थे. एक बार वह किसी काम से अपने दोस्त के साथ पटना गए. पटना रेलवे स्टेशन पर उन्होंने देखा कि चारों तरफ गंदगी का अंबार है. रेलवे स्टेशन पर फैली गंदगी का असर न किसी अधिकारी पर पड़ रहा था और न ही वहां से गुजरने वाले किसी आम इंसान पर. लेकिन नीलेश को अंदर ही अंदर बहुत खराब लगा क्योंकि उसी गंदगी के आसपास लोग खाने पीने की चीजें बना रहे थे. वहां से उन्होंने और उनके दोस्त ने यह तय किया कि रेलवे स्टेशन की सूरत बदलनी होगी.
एक साथ मिली 9 स्टेशन की जिम्मेदारी उन्होंने वॉल पेंटिंग का आईडिया सोचा. इस काम में पहला चैलेंज यह था कि उन्हें काम करने कौन देगा. वह और उनके दोस्त ने बहुत जुगाड़ करके उस वक्त के रेल मंत्री सुरेश प्रभु से मुलाकात की. दो-तीन मिनट की मुलाकात में रेल मंत्री ने उन्हें रेलवे के डिविजनल ऑफिस में मिलने के लिए कह दिया. वह 4 दिन बाद रतलाम डिविजनल ऑफिसर के पास गए. उन्हें लग रहा था कि वह एक दो प्लेटफार्म पर काम करने के लिए बोलेंगे, लेकिन डिविजनल ऑफिसर ने उन्हे 9 स्टेशनों की जिम्मेदारी दे दी.
निलेश बताते हैं, 'सब को हमारा आइडिया पसंद आया था. लेकिन हम से कहा गया कि आप इस काम के लिए स्पॉन्सर भी खुद ही ढूंढिए. मतलब रेलवे उस वक्त उन्हें कोई पेमेंट करने के लिए तैयार नहीं हुआ. निलेश कहते हैं कि स्पॉन्सर ढूंढना सबसे मुश्किल काम था क्योंकि इसके पहले हमने कहीं कुछ काम किया ही नहीं था. बड़ी मुश्किलों के बाद उन्हें CRPF से फंड मिला.
ठुकरा दिया था अयोध्या से मिले काम का ऑफर अब उनको बहुत काम मिलने लगा था. उनके काम से लोग प्रभावित थे और अब उनके काम के लिए उनको और उनके आर्टिस्ट को पैसा भी ठीक-ठाक मिलने लगा था. इसी बीच उन्हें राम की नगरी अयोध्या से फोन आया. उनसे कहा गया कि 28 दिन बाद प्रधानमंत्री आ रहे हैं और इतने समय में आपको पूरे अयोध्या नगरी की सूरत बदलनी है. काम बहुत ज्यादा था और वक्त बहुत कम. ऐसे में उन्होंने शुरुआत में ही काम के लिए मना कर दिया. लेकिन फिर उन्होंने दोबारा काम हाथ में लिया तो पूरा भी किया, जिसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद उनकी पीठ थपथपाई.
काम मिले या न मिले, रिश्वत नहीं दूंगा निलेश बताते हैं कि उन्होंने हमेशा यह काम सिर्फ इसलिए किया क्योंकि इसमें उनका मन लगता है. लेकिन कई बार सरकारी सिस्टम उनके लिए मुसीबत का सबब बन जाता है. एक बार उन्हें एक सरकारी काम मिला. काम अभी आधा ही हुआ था कि उनको मालूम हुआ कि बिल पास कराने के लिए उन्हें रिश्वत देनी पड़ेगी. निलेश ने उसी जगह से काम को छोड़ दिया और कहा कि मुझे काम मिले या ना मिले लेकिन मैं रिश्वत नहीं दूंगा.
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