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रूस से लड़ाकू विमान नहीं खरीदेगा भारत? F-35 को लेकर क्या है योजना, जानें
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भारत को 5वीं पीढ़ी का अमेरिकी एफ-35 विमान लेना चाहिए या नहीं? क्या रूस से लड़ाकू विमान लेने की योजना खत्म हो गई? स्वदेशी लड़ाकू विमानों की क्या स्थिति है? ये ऐसे सवाल हैं जो भारत की वायु शक्ति और रक्षा रणनीति से जुड़े हैं.
नई दिल्लीः भारत को 5वीं पीढ़ी का अमेरिकी एफ-35 विमान लेना चाहिए या नहीं? क्या रूस से लड़ाकू विमान लेने की योजना खत्म हो गई? स्वदेशी लड़ाकू विमानों की क्या स्थिति है? ये ऐसे सवाल हैं जो भारत की वायु शक्ति और रक्षा रणनीति से जुड़े हैं.
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जासूसी की दुनिया में डबल एजेंट वो स्पाई होता है, जो एक देश या संगठन के लिए काम करते हुए गुप्त रूप से उसके दुश्मन या प्रतिद्वंद्वी के लिए भी जासूसी करता है. डबल एजेंट एक पक्ष को भरोसा दिलाते हैं कि वह उनके लिए काम कर रहे हैं, लेकिन असल में वह दूसरे पक्ष को उनकी जानकारी और रणनीतियां पहुंचाते हैं. ऐसा ही एक डबल एजेंट भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ में भी था.
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भारत और अमेरिका ने समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए मिलकर आधुनिक समुद्री ड्रोन, ग्लाइडर और निगरानी सिस्टम बनाने का निर्णय लिया है. इस पहल के तहत ऐसे स्वायत्त हथियार बनाए जाएंगे, जो समुद्र में लंबे समय तक काम कर सकें और जहाजों की गतिविधियों पर नजर रख सकें. इस समझौते की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी नेतृत्व के बीच बैठक के दौरान की गई थी.
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भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुए रक्षा समझौते से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है, जिससे संयुक्त उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाएगा.