राष्ट्रपति तो बन गए मसूद पेजेश्कियान, लेकिन क्या ईरान में ला पाएंगे बदलाव... जानिए देश में चलती किसकी है?
AajTak
ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में मसूद पेजेश्कियान को जीत मिली है. रिफॉर्मिस्ट नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके मसूद पेजेश्कियान देश के नए राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं. उन्होंने कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को हरा दिया. देश के नए राष्ट्रपति पेजेश्कियान को हिजाब विरोधी माना जाता है. साथ ही वो पश्चिमी देशों के साथ बेहतर संबंध, अमेरिका के साथ परमाणु समझौते की वापसी और देश में बुरके से जुड़े कानून में सुधार की वकालत भी करते रहे हैं.
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की 19 मई को हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद ईरान में राजनीतिक उथल-पुथल और अनिश्चितताओं का जो माहौल बना था, वो अब थम गया है. ईरान ने अपना नया राष्ट्रपति चुन लिया है. ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में मसूद पेजेश्कियान को जीत मिली है. रिफॉर्मिस्ट नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके मसूद पेजेश्कियान देश के नए राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं. उन्होंने कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को हरा दिया. देश के नए राष्ट्रपति पेजेश्कियान को हिजाब विरोधी माना जाता है. साथ ही वो पश्चिमी देशों के साथ बेहतर संबंध, अमेरिका के साथ परमाणु समझौते की वापसी और देश में बुरके से जुड़े कानून में सुधार की वकालत भी करते रहे हैं.
अब सवाल यह है कि ईरान की जनता ने मसूद पेजेश्कियान को सत्ता के शिखर तक तो पहुंचा दिया है लेकिन क्या ईरान के राष्ट्रपति के पास इतनी ताकत है कि वो अपने कहे अनुसार बदलाव ला सकें? ईरान की सत्ता पर आखिर किसकी पकड़ सबसे अधिक मजबूत है और देश में शासन को लेकर जो व्यवस्था है उसमें किसकी चलती है? क्या ईरानी के राष्ट्रपति महज एक रबर स्टैंप हैं? देश की संसद के पास क्या अधिकार हैं और सेना पर किसका कंट्रोल है? तो चलिए समझते हैं ईरान की पॉलिटिक्स का पावर डायन्मिक्स.
इस्लामी गणराज्य ईरान में राष्ट्रपति का पद शीर्ष पद जरूर है लेकिन यह सबसे शक्तिशाली पद नहीं है. देश का सबसे शक्तिशाली पद यहां के सर्वोच्च नेता के लिए रिजर्व है. हालांकि ईरान में राष्ट्रपति का पद कुछ महत्वपूर्ण अधिकार जरूर रखता है. इसके अलावा ईरान की सत्ता में कई अन्य खिलाड़ी भी हैं जिनका प्रभाव अलग-अलग मामलों में देखा जा सकता है. इन सबकी भूमिकाओं को समझने के बाद इरान में सत्ता की चाबी किसके पास है और इसपर किसकी पकड़ कितनी मजबूत है, इसे लेकर एक साफ तस्वीर मिल सकती है.
ईरान के राष्ट्रपति vs सर्वोच्च नेता (Supreme Leader)
ईरान की एक तरह से दोहरी शासन व्यवस्था है जिसमें धर्म और गणतंत्र दोनों शामिल हैं. ईरानी शासन वय्वस्था के तहत ईरान के राष्ट्रपति परमाणु कार्यक्रम या फिर मध्य पूर्व में मिलिशिया समूहों के समर्थन सहित किसी भी बड़े मुद्दे पर कोई बड़ा नीतिगत बदलाव नहीं कर सकते हैं. हालांकि, ईरान के राष्ट्रपति कानून या किसी नीति की कठोरता या फिर इसके लागू होने के तौर-तरीकों को जरूर प्रभावित कर सकते हैं. इसके अलावा ईरान के राष्ट्रपति सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (85 वर्षीय) के उत्तराधिकारी के चयन में शामिल होंगे जिसमें उनकी भूमिका काफी अहम हो सकती है.
ईरान में सरकार से जुड़े सभी शीर्ष मामलों में देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ही फैसले लेते हैं. ईरान के सर्वोच्च नेता (Supreme Leader) अयातुल्ला अली खामेनेई को अक्सर देश के पहले सुप्रीम नेता नेता और अपने पूर्ववर्ती अयातोल्ला रुहोल्ला खुमैनी की तस्वीर के नीचे बैठा देखा जा सकता है. ईरान के सर्वोच्च नेता के काफी अधिक शक्ति है लेकिन यह असीमित नहीं है. बड़े फैसले लेने से पहले सर्वोच्च नेता रिवोल्यूशनरी गार्ड और देश के अन्य प्रभावशाली ग्रुप से सलाह लेते हैं.
अमेरिका में अब डोनाल्ड ट्रंप की सरकार होगी. चार साल बाद फिर ट्रंप का व्हाइट हाउस में कमबैक हो गया है. ट्रंप के कमबैक से बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी अपनी वापसी की उम्मीद है. उन्होंने ट्रंप को भेजे बधाई संदेश में खुद को 'प्रधानमंत्री' बताया है. ऐसे में जानते हैं कि क्यों शेख हसीना को अपनी वापसी की उम्मीद है? और क्यों अमेरिका पर तख्तापलट के इल्जाम लगते रहे हैं?
डॉनाल्ड ट्रंप की जीत ने वैश्विक स्तर पर तहलका मचाया है. उनके विरोधियों के साथ-साथ मित्र देश भी हैरान हैं. चीन अमेरिकी नीतियों में बदलाव से घबराया हुआ है, जिससे उसे ट्रेड वॉर का डर है. पहले से ही आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे चीन के लिए यह कदम बेहद नुकसानदायक हो सकता है. ट्रंप के सत्ता में आते ही अमेरिका और ईरान के रिश्तों में भी चिंता देखी जा रही है. ट्रंप का चीन और ईरान को लेकर क्या प्लान है, यह वैश्विक राजनीति का अहम मुद्दा बना हुआ है.