राजस्थानः चुनावी साल में बदले हालात, क्या वसुंधरा राजे होंगी बीजेपी का CM फेस?
AajTak
राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी साल में सियासी समीकरण बदल गए हैं. कुछ समय पहले तक जिन वसुंधरा राजे की सियासत खत्म होने के दावे किए जाने लगे थे, आज उन्हीं वसुंधरा राजे के बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार होने की भविष्यवाणियां की जाने लगी हैं. क्यों?
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद से वसुंधरा राजे सूबे की सियासत में हाशिए पर थीं. चुनावी साल में अब वो फिर से फ्रंटफुट पर नजर आ रही हैं. वसुंधरा सालासर में अपने जन्मदिन पर बड़ी रैली कर अपनी ताकत दिखा चुकी हैं.
पार्टी ने भी उन्हें दोबारा तरजीह देना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि कुछ महीनों पहले जहां वसुंधरा की सियासत खत्म होने तक के दावे किए जा रहे थे, वहीं अब उनकी एक बार फिर राजस्थान में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे के रूप में वापसी की भविष्यवाणी की जाने लगी है.
पूनिया की ताजपोशी थी वसुंधरा को सख्त मैसेज
बीजेपी आलाकमान ने वसुंधरा राजे की पसंद-नापसंद को दरकिनार कर सतीश पूनिया को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था. ये एक तरह से वसुंधरा को सख्त मैसेज था. सतीश पूनिया को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद राजस्थान बीजेपी के कार्यक्रमों से वसुंधरा दरकिनार की जाने लगीं. राजस्थान में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा मानी जाने वालीं वसुंधरा राजे पार्टी के होर्डिंग-पोस्टर्स से गायब हो गईं.
कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) संगठन के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी. इसके बाद वसुंधरा का पत्ता कटने की अटकलें लगने लगी थीं. लेकिन चुनावी साल में वक्त ने पूरी तरह करवट ले ली है. पहले सतीश पूनिया की छुट्टी हुई और अब बात वसुंधरा के करियर खत्म होने की नहीं, उन्हें बीजेपी का सीएम फेस बनाने की होने लगी है.
परिवर्तन के पीछे कर्नाटक चुनाव नतीजों का रोल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में शानदार जीत दर्ज की है. इस मौके पर नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में जश्न का माहौल है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भी पहुंचे. पीएम मोदी ने जय भवानी, जय शिवाजी' के जयघोष के साथ अपना संबोधन शुरू किया.
गवर्नर कार्यालय ने स्पष्ट किया कि मूर्ति का अनावरण गवर्नर द्वारा नहीं किया गया था, बल्कि यह मूर्ति कलाकार और भारतीय संग्रहालय द्वारा भेंट के रूप में दी गई थी. इसके बावजूद, इस घटना ने एक राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जहां यह सवाल उठाया जा रहा है कि कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए अपनी मूर्ति कैसे लगा सकता है.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.