
'राजशाही बहाली के लिए इंडिया से एक्टिव सपोर्ट...', नेपाली एक्टिविस्ट ने पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के कैंपेन को घेरा
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नेपाल के सिविल सोसायाटी ने दावा किया है कि पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र नेपाल में गद्दी पर वापस आने के लिए भारत के राजनीतिक तत्वों की पैरवी ले रहे हैं. इसका उद्देश्य अवसरवादियों के लाभ के लिए अराजकता फैलाना है और जिसे भारत में धार्मिक कट्टरपंथियों के समर्थन से अंजाम दिया जा रहा है.
नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर चल रहे आंदोलनों के बीच वहां की सिविल सोसायटी ने इसका ठीकरा भारत पर फोड़ दिया है. नेपाल की कई कथित नागरिक अधिकारों पर काम करने वाली एजेंसियों ने कहा है कि नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को भारत के रुढ़िवादी और कट्टर तत्वों का सपोर्ट हासिल है.
वहीं वहां की प्रमुख पार्टी नेपाली कांग्रेस ने भी कहा है कि ज्ञानेंद्र शाह संवैधानिक सम्राट बनने के लिए उपयुक्त नहीं हैं.
नेपाल में पिछले कुछ समय से राजशाही वापसी और हिन्दू राष्ट्र के दर्जे की बहाली के आंदोलन चल रहा है. इस मुहिम को जनता का समर्थन मिल रहा है.
नेपाल में सिविल सोसायटी के एक्टिविस्ट के एक समूह ने सोमवार को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की आलोचना करते हुए कहा कि वे "राजशाही को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो रहे हैं" और दावा किया कि उन्हें भारत में धार्मिक कट्टरपंथियों का समर्थन प्राप्त है.
सिविल सोसायटी के आठ नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, "ज्ञानेंद्र शाह का राजनीतिक सक्रियता में उतरना उनके पूर्वजों के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों को विफल करता है और इससे देश के पड़ोसियों और दुनिया के सामने कमजोर होने का खतरा है."
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले जब नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह पोखरा प्रवास से काठमांडू लौटे थे तो उनके स्वागत में एयरपोर्ट पर हजारों लोगों की भीड़ जमा हुई थी. इन लोगों ने नारायणहिटी खाली गर, हाम्रो राजा आउंदै छन,' यानी कि नारायणहिती (राजा का महल) खाली करो, हमारे राजा आ रहे हैं' का नारा लगा रहे थे.