यूपी का वो डॉन जिसका फैन है अतीक का हत्यारा, मुख्यमंत्री की हत्या की ले ली थी सुपारी
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने बताया कि सनी अक्सर साइबर कैफे में जाता था. वहां वह अपराधियों के प्रिंट आउट निकालता था, खासकर श्रीप्रकाश शुक्ला का, जिसका वह बहुत बड़ा फैन था. सनी क्रूड बम बनाने में भी एक्सपर्ट था. वह तीन बार बम फेंकने की घटना को भी अंजाम दे चुका है.
बीती 15 अप्रैल को यूपी के प्रयागराज में ऐसी घटना घटी जिसका अनुमान तक किसी ने नहीं लगाया होगा. गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज लाए गए माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई. यह पूरा हत्याकांड उस दौरान हुआ जब अतीक मीडिया से बात कर रहा था. ऐसे में कैमरों के सामने ही हुए इस हत्याकांड ने पूरे उत्तर प्रदेश को सकते में डाल दिया. इस घटना के बाद यूपी जैसे किसी छावनी में तब्दील हो गया, धारा 144 भी लागू कर दी गयी. पुलिस को हिदायत दी गई कि किसी भी सूरत में राज्य का माहौल नहीं बिगड़ना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ उन पुलिसवालों पर गाज गिरी जो अतीक और अशरफ की सुरक्षा में थे. 17 पुलिसकर्मियों को तत्काल रूप से सस्पेंड कर दिया गया.
पुलिस घेरे में इस दोहरे हत्याकांड को अरुण मौर्या, सनी और लवलेश तिवारी ने अंजाम दिया. तीनों पत्रकार बनकर पुलिस के काफिले के नजदीक पहुंचे और तीनों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इस दौरान करीब 18 राउंड गोलियां चलीं, जिनमें से 8 गोली अतीक अहमद को लगीं. इन शूटर्स में से एक शूटर सनी, यूपी के सबसे चर्चित डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का फैन बताया जा रहा है. यह भी बताया जा रहा है कि सनी श्रीप्रकाश की तरह ही टेरर फैला कर, उसी के नक्शे कदम पर चलने की तैयारी में था. जिसकी वजह से उसने अतीक की हत्या की प्लानिंग की, और इस कांड को अंजाम भी दे दिया. हालांकि अब वो पुलिस की गिरफ्त में है. सनी पर पहले से ही दर्ज हैं 15 केस यूपी के हमीरपुर के कुरारा का रहने वाला मोहित उर्फ सनी 23 साल का है. सनी पर 15 केस दर्ज हैं. पुलिस का कहना है कि अशरफ पर फायरिंग करने वाला सनी ही था. जिसने तुर्की की बनी पिस्टल से फायरिंग की. सनी सिंह कुरारा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 281A है. सनी 2021 में चित्रकूट जेल में बंद था. उसके भाई पिंटू ने बताया कि वो बीते 10 साल से अपने घर नहीं आया है. वहीं सनी के पिता जगत सिंह और मां की मौत हो चुकी है.
आतंक का दूसरा नाम श्रीप्रकाश शुक्ला श्रीप्रकाश शुक्ला उत्तर प्रदेश का वो नाम रहा जिससे आम आदमी ही क्या पुलिस भी थरथर कांपती थी. 90 के दशक में अखबारों के पन्ने उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला की ही सुर्खियों से रंगे होते थे. उत्तर प्रदेश पुलिस हैरान और परेशान थी. पुलिस को केवल उसका नाम पता था, लेकिन शक्ल कोई नहीं थी. फिरौती, किडनैपिंग, कत्ल, डकैती जैसे मामलों में उसका नाम था. साथ ही पूरब से लेकर पश्चिम तक रेलवे के ठेके पर भी उसका एकक्षत्र राज था. बस यही उसका पेशा था और इसके बीच जो भी आया, उसे उसने मारने में जरा भी देर नहीं की. ऐसे में हर कोई उससे डरता था.
जुर्म की दुनिया में पहला कदम एक शिक्षक का बेटा और मशहूर पहलवान श्रीप्रकाश शुक्ला पहली बार जुर्म की दुनिया में तब आया जब राकेश तिवारी नाम के एक शख्स ने उसकी बहन को देखकर सीटी मार दी. श्रीप्रकाश इस बात से आगबबूला था, नतीजन उसने राकेश की हत्या कर दी. गोरखपुर के ममखोर गांव में जन्में श्रीप्रकाश के जीवन का यह पहला जुर्म था. उस दौरान श्रीप्रकाश की उम्र 20 वर्ष रही थी. इस उम्र में उसने जुर्म की दुनिया में जब कदम रखा तो पलट कर नहीं देखा. एक के बाद एक हत्या करते हुए वो उन अपराधियों की लिस्ट में शामिल हो गया जिनसे आम जन ही नहीं पुलिस तक डरने लगी थी. वीरेन्द्र शाही की हत्या और श्रीप्रकाश का बढ़ता वर्चस्व
बताया जाता है राकेश की हत्या के बाद श्रीप्रकाश बैंकॉक भाग गया. लेकिन पैसों की तंगी के चलते उसे एक समय बाद भारत लौटना पड़ा. यहां आने के बाद उसने मोकामा, बिहार का रुख किया और सूबे के सूरजभान गैंग में शामिल हो गया. श्रीप्रकाश दिनों दिन क्राइम की दुनिया में पांव जमाता जा रहा था. इस दौरान साल 1997 में उसने राजनेता और कुख्यात अपराधी वीरेन्द्र शाही की लखनऊ में हत्या कर दी. जिसके बाद तो जैसे श्रीप्रकाश यूपी का डॉन कहा जाने लगा. और इसके बाद एक एक करके न जाने कितने ही हत्या, अपहरण, अवैध वसूली और धमकी के मामले श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम लिखे गए.
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