मेडिकल टूरिज्म के लिए भारत है मालदीव की पहली पसंद, अपने लोगों की ये आदत कैसे बदलेंगे प्रेसिडेंट मुइज्जू?
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बढ़ते तनाव के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू वो सारे तरीके खोज रहे हैं जिससे भारत पर उनकी निर्भरता खत्म हो सके. चूंकि मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को देश छोड़ने का नोटिस भी दे दिया है, इससे आने वाले समय में दोनों के बीच टेंशन बढ़ना तय है. वैसे केवल टूरिज्म ही नहीं, बल्कि हेल्थकेयर और फूड जैसी बातों में भी मालदीव अब तक हमारी मदद लेता रहा.
मुइज्जू सरकार ने आते ही कई बड़े फैसले लिए, जिसका मकसद इस द्वीप देश की भारत और श्रीलंका जैसे देशों पर निर्भरता खत्म करना है. इसमें सबसे बड़ा बदलाव हेल्थकेयर को लेकर हो सकता है. वो दूसरे देशों से करार करने की प्रक्रिया में है ताकि उसके लोग जरूरत में हमारे पास नहीं, बल्कि उन देशों तक जाएं, जिनसे कथित तौर पर मालदीव के रिश्ते हमसे बेहतर हैं.
अस्पतालों को लेकर कैसा है बंदोबस्त
फिलहाल तक मालदीवियन्स बीमार होने या किसी बड़ी परेशानी में भारत या श्रीलंका के अस्पताल जाया करते थे. अब मुइज्जू ने स्टेट-ओन्ड इंश्योरेंस सर्विस में बड़ा फेरबदल करने की बात की है. फिलहाल वहां असंधा स्कीम चल रही है. ये यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है. मालदीव सरकार ने इसे साल 2014 में उतारा था ताकि वहां के नागरिकों को हेल्थकेयर आसानी से मिल सके.
कितने लोग भारत आ रहे
वहां छोटे अस्पताल तो हैं, लेकिन बड़ी परेशानी में राजधानी माले आना पड़ता है. वहीं बड़ी सर्जरी जैसी जरूरत में लोग भारत का रुख करते हैं. साल 2015 में इंडियन मेडिकल टूरिज्म इंडस्ट्री ने बताया कि मेडिकल टूरिज्म के लिए भारत आने वाले सबसे ज्यादा लोगों में से एक मालदीव के लोग थे. साल 2021 में इलाज के लिए हमारे यहां आने वालों में मालदीव तीसरे नंबर पर था, लेकिन मालदीव के हिसाब से देखें तो फॉरेन मेडिकल टूरिज्म में वहां से सबसे ज्यादा लोग भारत आए.
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