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'मुझे हल्के में मत लेना...', CM फडणवीस के साथ टकराव की अटकलों के बीच शिंदे का ताजा बयान
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महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. इसके संकेत उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हालिया बयानों से मिलते हैं. सूत्रों की मानें तो शिंदे और मुख्यमंत्री फडणवीस के बीच कोल्ड वॉर की स्थिति है. इस बीच शुक्रवार को एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर दो दिन पहले दिया अपना 'टांगा पलटने' वाला बयान दोहराया.
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. इसके संकेत उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हालिया बयानों से मिलते हैं. सूत्रों की मानें तो शिंदे और मुख्यमंत्री फडणवीस के बीच कोल्ड वॉर की स्थिति है. इस बीच शुक्रवार को एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर दो दिन पहले दिया अपना 'टांगा पलटने' वाला बयान दोहराया. नागपुर में पत्रकारों ने शिंदे से जब उनके इस बयान के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कहा, 'ये तो मैंने पहले ही कहा है, जिन्होंने मुझे हल्के में लिया है... मैं एक कार्यकर्ता हूं, सामान्य कार्यकर्ता हूं. लेकिन बाला साहेब और दिघे साहेब का कार्यकर्ता हूं. ये समझ के मुझे सबने लेना चाहिए और इसलिए जब हल्के में लिया तो 2022 में टांगा पलटी कर दिया. सरकार को बदल दिया और हम आम जनता की इच्छाओं की सरकार लाए. इसलिए मुझे हल्के में मत लेना, ये इशारा जिन्हें समझना है वे समझ लें.'
उन्होंने आगे कहा, 'विधानसभा में अपने पहले भाषण में मैंने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस जी को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी और हमें 232 सीटें मिलीं. इसलिए मुझे हल्के में न लें, जो लोग इस संकेत को समझना चाहते हैं, वे इसे समझें और मैं अपना काम करता रहूंगा.' बता दें कि एकनाथ शिंदे हाल फिलहाल के दौरान सीएम फडणवीस द्वारा बुलाई गई बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं. इससे दोनों के बीच टकराव की अटकलें लग रही हैं. भाजपा के नेतृत्व वाले तीन-दलीय गठबंधन (भाजपा, शिवसेना, एनसीपी) द्वारा विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में से 230 सीटें जीतने और प्रतिद्वंद्वियों को लगभग खत्म करने के ठीक तीन महीने बाद सत्तारूढ़ महायुति में दरार की चर्चाएं शुरू हो गई हैं, और कोई भी स्पष्टीकरण या दावा अटकलों को खत्म करने में मदद नहीं कर रहा है.
इसकी शुरुआत पिछले नवंबर में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद, अपने नेता फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने के भाजपा के फैसले से हुई. शिवसेना प्रमुख शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा. वह काफी मनाने के बाद इस पद को स्वीकार करने के लिए राजी हुए. इसके बाद देवेंद्र फडणवीस द्वारा शिंदे सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए कुछ कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने और कुछ परियोजनाओं की जांच के आदेश देने के बाद तनाव और बढ़ गया. अब जिलों के संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर असहमति हो या विभिन्न परियोजनाओं की निगरानी के लिए अलग-अलग मेडिकल सेल और 'वॉर रूम' की अलग-अलग समीक्षा बैठकें करने तक, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके डिप्टी एकनाथ शिंदे के रिश्तों में तल्खी बढ़ती दिख रही है.
हालांकि फडणवीस और शिंदे दोनों ने अपने बीच किसी भी तरह के मतभेद से इनकार किया है और सब कुछ ठीक है के संदेश के साथ एकता की तस्वीर पेश करने की कोशिश की है, लेकिन कई उदाहरण ऐसे हैं, जो अलग तस्वीर पेश करते हैं. रायगढ़ और नासिक जिलों के संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति में भी यह दरार बढ़ती देखी गई. राकांपा विधायक अदिति तटकरे और भाजपा नेता गिरीश महाजन की क्रमश: रायगढ़ और नासिक के संरक्षक मंत्री के रूप में नियुक्ति से शिवसेना नाराज थी. हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन दोनों नियुक्तियों को रोक दिया और अब तक इन दोनों जिलों में संरक्षक मंत्री नहीं नियुक्ति हो सके हैं.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य की प्रमुख परियोजनाओं की निगरानी के लिए 'वॉर रूम' बनाया है. उनके अलावा दोनों डिप्टी सीएम- अजीत पवार और एकनाथ शिंदे ने उन परियोजनाओं पर नजर रखने के लिए अपने अलग वॉर रूम स्थापित किए हैं, जो उन जिलों के अंतर्गत आती हैं, जिनके वे संरक्षक मंत्री हैं. दोनों अपने वॉर रूम से उन विभागों के कामकाज की निगरानी भी करते हैं, जो उनकी संबंधित पार्टियों के मंत्रियों द्वारा संभाले जाते हैं.
एकनाथ शिंदे का 2022 में टांगा पलटने से मतलब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले एमवीए शासन के पतन से था. तब शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना (अविभाजित) के 40 से अधिक विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी. उनका कहना था कि 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को जनादेश दिया था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन में सरकार बना ली. शिवसेना के बागी विधायकों का कहना था कि बीजेपी वैचारिक रूप से उनके करीब है और कांग्रेस व एनसीपी की विचारधारा बिल्कुल अलग है. इसके बाद इन विधायकों ने बीजेपी को समर्थन दिया.
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