मीरवाइज उमर फारुक, अब्दुल बनी बट और बिलाल गनी लोन... 2019 में 370 हटने के बाद पहली बार हुर्रियत नेताओं की हुई मीटिंग
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जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस की नई सरकार का गठन हुआ है. जम्मू कश्मीर में बदलते राजनीतिक समीकरण के बीच हुर्रियत की इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. पिछले साल से राज्य में हुर्रियत नेताओं की गतिविधियां और बैठकें बंद चल रही थीं.
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद मंगलवार को पहली बार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी धड़े ने बैठक की. इसमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के शीर्ष नेतृत्व ने हिस्सा लिया. उदारवादी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान हुर्रियत सदस्य अब्दुल गनी भट और बिलाल गनी लोन जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हुए.
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस की नई सरकार का गठन हुआ है. जम्मू कश्मीर में बदलते राजनीतिक समीकरण के बीच हुर्रियत की इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. पिछले साल से राज्य में हुर्रियत नेताओं की गतिविधियां और बैठकें बंद चल रही थीं. समझा जा रहा है कि अलगाववादी खेमा बदलाव की राह पकड़ सकता है. हालांकि, इस बैठक के बाद हुर्रियत नेताओं का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
मीरवाइज ने एक्स पर पोस्ट किया वीडियो
मीरवाइज ने अपने आवास पर हुई इस बैठक का एक वीडियो सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने लिखा, 'अल्हम्दुलिल्लाह! पांच साल से ज्यादा समय बाद मुझे अपने प्रिय सहयोगियों प्रोफेसर साहब, बिलाल साहब और मसरूर साहब के साथ बैठने का मौका मिला. एक भावनात्मक अनुभव, जिसमें जेल में बंद सहयोगियों की कमी महसूस हुई. लेकिन प्रिय प्रोफेसर साहब को इस उम्र में अच्छी स्थिति में देखकर खुशी हुई.'
जम्मू कश्मीर में 2018 से अलगाववादी संगठनों और उनके नेताओं के खिलाफ केंद्र सरकार लगातार एक्शन ले रही है और उनकी राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है. कई नेता विभिन्न मामलों में जेल में बंद हैं. कुछ नजरबंद किए गए हैं. उदारवादी गुट के नेताओं की भी पांच साल में ना कभी बैठक हुई और मुलाकात हो सकी है.
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के नेताओं ने अलगाववाद की राजनीति से किनारा कर मुख्यधारा की सियासत में वापसी की राह पकड़ ली थी और चुनाव भी लड़ा है.
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