
'महिलाओं को बिजनेस करना नहीं आता', कई बार अपने काम को लेकर मसाबा को सुननी पड़ी बातें, डिजाइनर ने किया रिएक्ट
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मसाबा ने अपने करियर से जुड़ी कई दिलचस्प चीजों को लेकर खुलकर बात की. पर सबसे ज्यादा फोकस उनका इस बात पर रहा कि लोग कहते हैं कि महिलाएं इमोशनल होती हैं. उन्हें बिजनेस करने का ढंग नहीं पता होता. इसलिए ज्यादातर बिजनेसमैन होते हैं, बिजनेसवुमन नहीं.
पिछले दिनों एक्ट्रेस नीना गुप्ता की बेटी मसाबा गुप्ता अपनी दूसरी शादी को लेकर सुर्खियों में आई थीं. इसके अलावा यह अक्सर ही अपने डिजाइन्स और न्यू फैशन सेंस को लेकर भी चर्चा में रहती हैं. हाल ही में मसाबा गुप्ता बिजनेस टुडे के एक इवेंट में शामिल हुईं. यहां उन्होंने अपने करियर से जुड़ी कई दिलचस्प चीजों को लेकर खुलकर बात की. पर सबसे ज्यादा फोकस उनका इस बात पर रहा कि लोग कहते हैं कि महिलाएं इमोशनल होती हैं. उन्हें बिजनेस करने का ढंग नहीं पता होता. इसलिए ज्यादातर बिजनेसमैन होते हैं, बिजनेसवुमन नहीं.
मसाबा ने किया रिएक्ट मसाबा ने इवेंट में कहा, "मैंने अपने करियर में केवल एक ही चीज को लेकर स्ट्रगल किया है. जब आप बोर्ड रूम में मीटिंग के लिए जा रहे होते हैं, जहां काला सूट पहनकर पुरुष बैठे होते हैं, वे कहते हैं कि महिलाएं बिजनेस को नहीं समझती हैं या समझ नहीं सकती हैं. बिजनेस का अपना एक साइड होता है, वह महिलाएं नहीं समझ सकतीं. इन पुरुषों को लगता है कि हम महिलाएं काफी इमोशनल होती हैं और प्रैक्टिकल निर्णय लेने में कमजोर भी होती हैं. पर मुझे लगता है कि जो ये पुरुष हमारी वीकनेस समझते हैं, वही हमारी स्ट्रेंथ होती है."
मुझे लगता है कि महिलाएं मल्टीटास्कर्स पैदा होती हैं. वह एक समय पर कई सारे कामों को एक साथ करने की हिम्मत रखती हैं. उन्हें चीजों को काफी सही ढंग से मैनेज करना आता है जो शायद पुरुष नहीं कर सकते हैं. महिलाएं परेशानियों को सुलझाती हैं जो उनके सामने हर रोज खड़ी होती हैं. फिजिकली और मानसिक रूप से महिलाओं के अंदर दर्द बर्दाशत करने की हिम्मत ज्यादा होती है.
मसाबा ने कहा कि मैं हमेशा से ही इस बात के हक में रही हूं कि हम महिलाओं को एक बराबरी का हक मिलना चाहिए. अब इसमें फेमिनिज्म की बात नहीं है. शायद इस शब्द को लेकर अलग- अलग लोगों के अंदर अलग- अलग चीजें होंगी. पर मुझे लगता है कि फेमिनिज्म का मतलब बराबरी होता है. जहां, जितनी जगह पुरुषों को मिल रही है, मुझे लगता है कि महिलाओं को भी बराबरी का हक मिलना चाहिए.

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