महबूबा मुफ्ती की सोनिया गांधी से मुलाकात, क्या जम्मू-कश्मीर में नए समीकरण साध रही कांग्रेस?
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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का परिसीमन फाइनल दौर में है, जिसके चलते विधानसभा चुनाव की संभावना बन रही है. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बीच मुलाकात हुई है, जिसके चलते सियासी हलचल तेज हो गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के बजाय पीडीपी के साथ हाथ मिलाने की तैयारी में तो नहीं है?
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है. यह मुलाकात सियासी तौर पर इसलिए भी काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब विधानसभा सीटों के लिए परिसीमन का काम अंतिम चरण में है. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की संभावनाओं के बीच महबूबा मुफ्ती की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस का साथ छोड़कर पीडीपी के साथ हाथ मिलाएगी या फिर दोनों ही दलों को साधकर रखेगी?
सोनिया-महबूबा के बीच मुलाकात
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ महबूबा मुफ्ती की इस मुलाकात को लेकर फिलहाल बहुत कुछ साझा नहीं किया जा रहा है. इस मुलाकात को एक निजी भेंट बताया जा रहा, लेकिन जिस तरह से दस जनपथ पर दोनों नेताओं ने जम्मू कश्मीर और देश के सियासी हालात पर चर्चा की. ऐसे में पीडीपी प्रमुख का दस जनपथ आना ही बताता है कि आने वाले दिनों में पीडीपी और कांग्रेस एक दूसरे के करीब आ सकते हैं, क्योंकि दोनों ही दल मौजूदा समय में सियासी तौर पर हाशिए पर खड़े दिख रहे हैं.
पीडीपी ने इस मुलाकात को सामान्य बताते हुए कहा कि महबूबा मुफ्ती की लंबे समय से सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं हुई थी, जिसके चलते वह उनका कुशलक्षेम जानने गई थीं. महबूबा और सोनिया गांधी की इस मुलाकात को निजी मुलाकात मान लिया जाता, लेकिन बैठक में प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला, केसी वेणुगोपाल और अंबिका सोनी भी मौजूद रहीं.
वहीं, इसके अलावा चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की है. पिछले 3 दिनों में पीके की सोनिया गांधी के साथ दस जनपथ पर यह उनकी दूसरी मुलाकात है. इसीलिए सियासी हल्कों में सोनिया-महबूबा की बैठक को कोई भी हल्के में नहीं ले रहा है बल्कि जम्मू कश्मीर में एक नए सियासी मोर्चे और गठजोड़ की कवायद के साथ जोड़कर देखा जा रहा है.
जम्मू कश्मीर में बेशक विधानसभा चुनाव का ऐलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन सभी राजनीतिक दलों में अपने-अपने सियासी समीकरण सेट करने के लिए बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया है. दिल्ली में सोनिया-महबूबा के बीच बैठक उस समय हुई है, जब जम्मू कश्मीर में जारी परिसीमन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और सिर्फ रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. परिसीमन की रिपोर्ट को केंद्र की मोदी सरकार की मंजूरी मिलने के बाद किसी भी समय जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के ऐलान हो सकते हैं.
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