मणिपुर से अवैध रोहिंग्याओं को वापस भेजने का सिलसिला शुरू, कौन हैं ये, कैसे म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर पहुंच गए?
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भारत सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों की पहली खेप को म्यांमार भेज दिया. ये वे लोग थे, जो अवैध तरीके से सीमा पार करके आए, और मणिपुर में रह रहे थे. घुसपैठ कर चुके रोहिंग्याओं को उनके देश भेजने से कुछ पहले ही एक और बड़ा फैसला लिया गया. इसके तहत म्यांमार से सटी भारतीय सीमाओं की घेराबंदी की जाने वाली है.
बीते शुक्रवार से अवैध रोहिंग्याओं को म्यांमार भेजने की शुरुआत हो चुकी है. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह लगातार कहते रहे कि घुसपैठियों के चलते राज्य का माहौल बिगड़ रहा है, नशे और हथियारों की तस्करी बढ़ रही है. यहां तक कि मणिपुर में कुछ महीनों पहले हुई हिंसा के पीछे भी कहीं न कहीं घुसपैठियों के उकसावे की बात होती रही. अब अवैध रोहिंग्याओं की पहचान हो रही है ताकि उन्हें डिपोर्ट किया जाए सके.
कौन हैं रोहिंग्या और क्यों भागे म्यांमार से? ये सुन्नी मुस्लिम हैं, जो म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहते आए थे. बौद्ध आबादी वाले म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम माइनॉरिटी में हैं. म्यांमार की सरकार उन्हें बांग्लादेशी प्रवासी मानती रही जो ब्रिटिश काल में किसानी के लिए उनके यहां पहुंचे. दूसरी ओर, बांग्लादेश भी कहता है कि रोहिंग्या उसके नहीं, म्यांमार के हैं. दोनों के इनकार के बीच ये ऐसा समुदाय बन गया जिसका कोई देश नहीं.
जनगणना में नहीं किया गया शामिल
आजादी के बाद म्यांमार लंबे समय तक अस्थिर रहा. वहां सैन्य शासन चलता रहा. 2 दशक पहले थोड़ी स्थिरता आने के दौरान इस देश में जनगणना हुई. इस दौरान रोहिंग्याओं को सेंसस में शामिल नहीं किया गया. कहा गया कि वे बांग्लादेश से यहां जबरन चले आए हैं और उन्हें वापस लौट जाना चाहिए. लेकिन मामला तब भी उतना जटिल नहीं हुआ था.
इस घटना के बाद हुई बड़ी हिंसा
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