
बिहार में 35 साल बाद हुआ यूनिवर्सिटी सिलेबस में बदलाव, ग्रेजुएशन में अब जॉब वाले कोर्सेज़ पर फोकस
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बिहार के विश्वविद्यालयों में स्नातक कोर्स में ऐसे बदलाव किए गए हैं जिससे छात्रों को रोजगार के ज्यादा अवसर मुहैया हो पाएं. एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में जाने पर छात्रों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो. साथ ही सभी विश्वविद्यालयों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम और सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया है.
बिहार में हायर एजुकेशन को लेकर एक बड़ा बदलाव सामने आ रहा है. राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएट कोर्सेज़ के सिलेबस में बदलाव करने का फैसला किया गया है. 35 साल बाद राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक कोर्स के पाठ्यक्रम में बदलाव का फैसला लिया गया है. नए कोर्स में ऐसे एडिशन किए जा रहे हैं जिससे छात्रों को रोजगार के ज्यादा अवसर मुहैया हो सकें. राजभवन ने अपने स्तर से इस बदलाव को लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है.
35 साल बाद हुआ सिलेबस रिवीज़न दरअसल, बिहार के विश्वविद्यालयों में स्नातक कोर्स में ऐसे बदलाव किए गए हैं जिससे छात्रों को रोजगार के ज्यादा अवसर मुहैया हो पाएं. एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में जाने पर छात्रों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो. साथ ही सभी विश्वविद्यालयों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम और सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया है. राजभवन की तरफ से बताया गया है कि साल 1988 के बाद सिलेबस को रिवाइज नहीं किया गया था और अब मौजूदा जरूरतों के मुताबिक बदलाव किया जा रहा है.
3 साल में भी होगा ग्रेजुएशन बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में इस सत्र से लागू हो रहे चार साल के ग्रेजुएट कोर्स यानी CBCS के तहत सभी छात्रों को 4 साल की पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं है. कोई छात्र अगर चाहे तो वह केवल 3 साल की पढ़ाई के बाद ही स्नातक की डिग्री ले सकता है. स्नातक के लिए पहले की तरह 3 साल में ही डिग्री दिए जाने का नियम लागू रहेगा.
जारी हुए दिशानिर्देश ग्रेजुएशन के CBCS पाठ्यक्रम को लेकर सभी विश्वविद्यालयों के लिए दिशानिर्देश जारी किया है. नए रेगुलेशन को मान्यता दिए जाने के बाद, छात्रों में लगातार बढ़ रही आशंकाओं को दूर करने के लिए राजभवन ने गाइडलाइंस जारी की हैं. हालांकि विदेश में पढ़ाई के लिए 4 साल यानी कुल 8 सेमेस्टर की पढ़ाई को अनिवार्य किया गया है.

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