बिहार के बाहुबली से समाजसेवी बनने तक का पप्पू यादव का सफर
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कोरोना काल में लॉकडाउन के उल्लंघन मामले में पप्पू यादव को मंगलवार को पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया और बाद में तीन दशक पुराने मामले में उन्हें मधेपुरा जेल भेज दिया. पप्पू यादव की गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीतिक तपिश को बढ़ा दिया है.
जन अधिकार पार्टी के प्रमुख व पूर्व सांसद राजेश रंजन (पप्पू यादव) खुद को विद्रोही और गरीब व दलितों का मसीहा कहते हैं. उन्हें बिहार के 'रॉबिन हुड' के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि, उनके राजनीतिक सफर और अतीत को देखते हैं तो जहन में उनकी छवि एक बाहुबली नेता के रूप में उभरती है, जिसके लिए उन्होंने बिहार की जेल से तिहाड़ तक की यात्रा की है. पप्पू यादव ने 17 साल से अधिक समय जेल में बिताया. जेल में रहने के दौरान पप्पू ने अपनी छवि को बदलने की कोशिश की और जेल से बाहर आने के बाद से निरंतर सामाजिक कार्यों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन के उल्लंघन मामले में पप्पू यादव को मंगलवार को पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया और बाद में तीन दशक पुराने मामले में उन्हें मधेपुरा जेल भेज दिया. पप्पू यादव की गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीतिक तपिश को बढ़ा दिया है. विपक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के नेता भी पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. ऐसे में हम बताएंगे कि पप्पू यादव का सियासी सफर कैसे शुरू हुआ और क्यों उन्हें एक दौर में लालू यादव की सियासी विरासत का उत्तराधिकारी माना जाता था.पीएम मोदी ने 'मन की बात' के 116वें एपिसोड में 'विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग' की भी घोषणा की, जो स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती पर 11-12 जनवरी, 2025 को भारत मंडपम में आयोजित होने वाला है. इस पहल का उद्देश्य विकसित भारत के लिए आगे की राह पर चर्चा करने और योजना बनाने के लिए देश भर के ऐसे युवाओं को एक मंच पर लाना है, जिनमें लीडरशिप क्वालिटी हो.
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