बांग्लादेश में जुटे हमास, तालिबान और पाकिस्तान के कट्टरपंथी नेता, क्या भारत के लिए खतरा बनेगी ये मीटिंग?
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ढाका में एक हाई लेवल धार्मिक आयोजन ने वैश्विक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है, जहां हमास, तालिबान और पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामी नेता अल-कायदा से जुड़े उपदेश के लिए इकट्ठा हुए थे. इससे खासतौर पर भारत के लिए खतरे बढ़ गए हैं, क्योंकि यह आतंकवादी समूहों के लिए एक मंच का काम कर सकता है.
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 'अल मर्कजुल इस्लामी' ने एक धार्मिक आयोजन किया है. इस आयोजन ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को गहरा कर दिया है. पड़ोसी मुल्क होने के नाते खासतौर पर भारत के लिए यह ज्यादा बड़ी चिंता की बात है. इस कार्यक्रम में हमास, तालिबान और पाकिस्तान के कई कट्टरपंथी इस्लामी नेताओं ने हिस्सा लिया और भाषण दिए, जो अल-कायदा से जुड़े थे. इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन क्यों किया गया, यह अभी साफ नहीं है लेकिन इसमें मुफ्ती शाहिदुल इस्लाम जैसे शख्स ने भी शिरकत की, जिसका आतंकवाद से गहरा नाता रहा है.
मुफ्ती शाहिदुल इस्लाम को 1999 में खुलना में एक अहमदिया मस्जिद पर बम हमले के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आठ लोगों की मौत हुई थी. उसे बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथ के उदय में प्रमुख भूमिका निभाई. रिहाई के बाद वह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कुछ अफ्रीकी मुल्कों की यात्रा भी की, जहां उसने अल-कायदा से ट्रेनिंग हासिल की. आज भी जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) के बीच उसकी पकड़ मजबूत है.
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7 अक्टूबर को हुआ था आयोजन
7 अक्टूबर को ढाका में आयोजित इस कार्यक्रम में हमास के वरिष्ठ नेता जैसे शेख खालिद कुद्दिमी और शेख खालिद मिशाल की मौजूदगी देखी गई थी. इनके अलावा, पाकिस्तान के प्रभावशाली शख्स में शामिल शैखुल इस्लाम मुफ्ती तकी उस्मानी और मौलाना फजलुर रहमान ने भी कार्यक्रम में शिरकत की.
भारत के लिए बड़ी चिंता
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने गुरुवार को युद्ध और मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया. आईसीसी ने नेतन्याहू और गैलेंट पर मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप लगाया, जिसमें हत्या, उत्पीड़न और अमानवीय कृत्यों की बात कही गई.