बंगाल: शपथ ग्रहण की मांग को लेकर धरने पर बैठे 2 विधायक, जानें क्या है मामला
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तृणमूल कांग्रेस के दोनों नवनिर्वाचित विधायक अपनी इस मांग पर अड़े हुए हैं कि विधानसभा में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाए, इसे लेकर उन्होंने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से आग्रह भी किया है, जबकि राज्यपाल ने दोनों को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था.
पश्चिम बंगाल की बारानगर और भगवानगोला विधानसभा सीट पर हाल ही में उपचुनाव हुए थे. बारानगर सीट से सायंतिका बनर्जी तो भगवानगोला सीट से रेयात हुसैन सरकार ने जीत हासिल की थी. तृणमूल कांग्रेस के दोनों नवनिर्वाचित विधायक अपनी इस मांग पर अड़े हुए हैं कि विधानसभा में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाए, इसे लेकर उन्होंने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से आग्रह भी किया है, जबकि राज्यपाल ने दोनों को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था. अपनी मांग को लेकर सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर के अंदर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा के सामने धरना-प्रदर्शन किया.
बता दें कि सायंतिका बनर्जी और रैयात हुसैन सरकार ने 26 जून को भी अपनी इस मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. दोनों विधायकों ने विधानसभा की सीढ़ियों पर धरना दिया था.
पीटीआई के मुताबिक सायंतिका बनर्जी ने कहा था कि उन्होंने राज्यपाल द्वारा निर्धारित शपथ न लेने की अपनी मंशा जाहिर करते हुए राजभवन को एक पत्र भेजा है. हालांकि राजभवन के एक अधिकारी ने बताया था कि राज्यपाल को अभी तक ऐसा कोई संदेश नहीं मिला है.
बंगाल के राज्यपाल और राज्य की सत्तारूढ़ टीएमसी के बीच ताजा टकराव राजभवन के एक संदेश से शुरू हुआ था, रेयात हुसैन सरकार और सायंतिका बनर्जी को शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित किया गया था. टीएमसी ने आरोप लगाया कि यह राज्यपाल द्वारा उपचुनाव जीतने वालों के मामले में आवश्यक कार्य करने के लिए सदन के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को नियुक्त करने की परंपरा का उल्लंघन है. राजभवन के पत्र में कथित तौर पर इस बात का भी कोई उल्लेख नहीं है कि नए विधायकों को शपथ कौन दिलाएगा.
सायंतिका बनर्जी ने कहा था कि मुझे निर्वाचित हुए 2 सप्ताह से अधिक समय हो चुका है और मेरे पास अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए काम करने के लिए केवल डेढ़ साल बचा है. शपथ ग्रहण को लेकर यह जटिलता एक विधायक के रूप में मेरे काम में बाधा डाल रही है, इसलिए मैंने राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे मुझे विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष शपथ लेने की अनुमति दें क्योंकि मैं यहीं से काम करूंगी.
अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान सायंतिका बनर्जी के साथ मौजूद राज्यमंत्री फिरहाद हकीम ने बताया कि कैसे 2009 में पहली बार विधानसभा उपचुनाव जीतने पर उन्हें तत्कालीन अध्यक्ष हासिम अब्दुल हलीम ने शपथ दिलाई थी. उन्होंने कहा कि ऐसा करके राज्यपाल बार-बार विधानसभा के संरक्षक अध्यक्ष के अधिकारों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं. राज्यपाल एक ऐसे प्रतिनिधि की शपथ रोककर लोगों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं, जिसे जनता ने चुना है.
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