प्रोफेसर के 'सर' कहने पर भड़का स्टूडेंट, कोर्ट ने 3 करोड़ हर्जाने का सुनाया फैसला!
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2018 में अमेरिका में ये मामला सामने आया था जब प्रोफेसर ने स्टूडेंट को क्लास के बीच में 'यस सर' कहा था. पर क्लास खत्म हुआ तो स्टूडेंट ने प्रोफेसर से कहा था वह खुद की पहचान महिला के तौर पर रखता है.
एक यूनिवर्सिटी अब प्रोफेसर को तीन साल की कानूनी लड़ाई के बाद 3 करोड़ रुपए से भी ज्यादा बतौर मुआवजा देने को राजी हो गई है. दरअसल, स्टूडेंट प्रोफेसर के सर कहने पर भड़क गया था. दरअसल, फिलॉसफी के प्रोफेसर को एक स्टूडेंट ने अपने पसंदीदा सर्वनाम (Preferred pronouns) से बुलाने के लिए कहा था. इसे आसान भाषा में समझें तो उन्होंने एक स्टूडेंट को पुल्लिंग के तौर पर संबोधित किया था, जबकि वह स्टूडेंट खुद को महिला मानता था. ऐसे में उस स्टूडेंट ने इस चीज पर ऐतराज जताया था.
ये मामला अमेरिका की Shawnee State University से जुड़ा है. जहां यूनिवर्सिटी अब ह्युमैनिटिस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर निकोलस मेरीवेदर (Nicholas Meriwether) को 3 करोड़ रुपए देगी. इस मामले में ओहियो के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने समझौते के तहत 14 अप्रैल को ये फैसला सुनाया.
क्या था मामला दरअसल, ये मामला 2018 में सामने आया था जब प्रोफेसर ने स्टूडेंट को क्लास के बीच में 'यस सर' कहा था. पर जब क्लास खत्म हुआ तो स्टूडेंट ने प्रोफेसर से कहा था वह खुद की पहचान महिला के तौर पर रखता है. ऐसे में उसको महिला के तौर पर जाना जाये, और उन्हीं सर्वनामों से संबोधित किया जाए, जोकि महिलाओं के लिए पुकारे जाते हैं.
मेरीवेदर से स्टूडेंट ने ये भी कहा था कि उन्हें केवल उनके पहले या अंतिम नाम से बुलाया जाए. फिर बाद में स्टूडेंट ने इस मामले की शिकायत यूनिवर्सिटी से कर दी थी.
फिर शुरू हुई मामले की जांच... इसके बाद इस मामले की जांच हुई. जिसमें ये सामने आया कि मेरीवेदर ने यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए प्रतिकूल माहौल बना दिया है. फिर इस मामले में यूनिवर्सिटी की ओर से प्रोफेसर को चेतावनी दी गई थी.
जिसके बाद इस मामले की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने अब इस केस को रद्द कर दिया है. हालांकि, अब इस मामले में यूनिवर्सिटी ने माना है कि ये मेरीवेदर की मर्जी पर निर्भर है कि वह स्टूडेंट को संबोधित करते हुए किस नाम, पदनाम, या सर्वनाम का उपयोग करते हैं. साथ ही यूनिवर्सिटी ने ये बात भी मानी कि कभी भी पसंदीदा सर्वनाम से पुकारे जाने के लिए दबाव नहीं डाला था.
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इस प्रक्रिया की सफलता की जांच करने के लिए पहले मॉक टेस्ट का आयोजन किया जाएगा. मॉक टेस्ट में चार अलग-अलग पारियों में 400 स्टूडेंट्स को बुलाया जाएगा, और इसके लिए छात्रों को 23 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा. अगर यह टैबलेट बेस्ड टेस्ट प्रक्रिया सही तरीके से आयोजित होती है, तो भविष्य में कर्मचारी चयन बोर्ड की छोटी भर्ती परीक्षाओं के लिए भी टैबलेट मोड पर परीक्षा आयोजित करने की योजना बनाई जाएगी.
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