
पिक्चर फ्लॉप फिर भी जीरो लॉस! बॉक्स ऑफिस के अलावा कहां-कहां से पैसा कमाती हैं बॉलीवुड फिल्में?
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साल 2022 की शुरुआत में जब कोरोना के चलते लॉकडाउन के साये से देश बाहर निकला और थिएटर शुरू हुए, तो बॉलीवुड ने राहत की लंबी सांस ली. फिल्म इंडस्ट्री को उम्मीद थी कि पिछले दो साल से बड़े पर्दे से दूर रहे दर्शक अब फिल्म देखने के लिए टूट पड़ेंगे. हालांकि हुआ इसका ठीक उलटा.
लॉकडाउन के दौर की एंटरटेनमेंट की भूख मिटाने के लिए लगातार फिल्में रिलीज हुईं. लेकिन ये क्या. कोरोना काल के बाद लौटा दर्शक बिल्कुल बदला-बदला टेस्ट लेकर आया. वो अब जैसे जरूरत से ज्यादा चूजी हो गया. एक के बाद एक फिल्में रिलीज हो रही हैं और दर्शक उन्हें नकार कर उनसे मुंह फेर ले रहे हैं.
बॉलीवुड में इस समय न एक्शन का तड़का काम आ रहा है, न हीरो का टशन, न कॉमेडी चल रही है और न ही इमोशन. बड़े-बड़े बैनरों की फिल्में धराशायी हो रही हैं. सुपरस्टार्स से सजी फिल्में एक हफ्ते भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं टिक पा रही हैं. एक विलेन रिटर्न्स फ्लॉप, शमशेरा फ्लॉप, शाबाश मिठू फ्लॉप, खुदा हाफिज-2 फ्लॉप, सम्राट पृथ्वीराज फ्लॉप, धाकड़ फ्लॉप, जनहित में जारी फ्लॉप, हीरोपंती-2 फ्लॉप, जर्सी फ्लॉप, बच्चन पांडे फ्लॉप, बधाई दो फ्लॉप, बंटी और बबली-2 फ्लॉप और अब लाल सिंह चड्ढा भी फ्लॉप. आप साल 2022 में रिलीज हुई किसी भी फिल्म का नाम ले लें. नाम बदल जाएगा, बैनर अलग होगा, सितारे दूसरे होंगे लेकिन एक चीज कॉमन होगी और वो है फ्लॉप का ठप्पा.
अगस्त का महीना बीत चुका है और भूल-भुलैया-2 या कश्मीर फाइल्स को छोड़ दिया जाए, तो बॉलीवुड को अपनी एक अदद हिट नहीं मिल पाई है. फ्लॉप फिल्मों की लंबी होती फेहरिस्त के बाद कई जगह तो बॉलीवुड के एंडगेम की भविष्यवाणियां की जाने लगी हैं. इन अटकलों से इतर एक सवाल और उठता है.
एक के बाद एक फ्लॉप... जानिए बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम क्यों होता जा रहा है बॉलीवुड
सवाल ये कि आखिर लगातार फ्लॉप हो रही फिल्मों के बावजूद इनमें पैसा लगाने वाले प्रोड्यूसर और काम कर रहे सितारों की सेहत पर कोई फर्क क्यों नहीं दिखता? दूसरे बिजनेस की तरह किसी प्रोड्यूसर के दिवालिया होने, बड़े सितारों के कंगाल होने की कोई खबर कम से कम बॉलीवुड से तो नहीं आती, ऐसा कैसे? इस सवाल का जवाब दरअसल फिल्मों की कमाई के गणित में छुपा है.
प्रोड्यूसर-एक्टर नहीं, डिस्ट्रीब्यूटर को लगती है चपत जाने-माने ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा कहते हैं आज के दौर में जो बिग बजट फिल्में होती हैं, उनका नुकसान प्रोड्यूसर नहीं सहता, वो सैटेलाइट राइट, डिजिटल राइट खरीदने वालों और डिस्ट्रीब्यूटर्स को झेलना पड़ता है. लाल सिंह चड्ढा के फ्लॉप होने से न एक्टर आमिर खान और न प्रोड्यूसर आमिर खान को नुकसान हुआ. इसका नुकसान वायाकॉम 18 भुगत रहा है. बड़ी फिल्मों में अक्सर यही होता है. इनके मेकर्स को पता होता है कि फिल्म को टेबल प्रॉफिट तो मिल ही जाएगा, बाद में रोने वाला रोएगा. इसलिए कहानियों में वो मेहनत दिखती ही नहीं है. उन्हें लगता है कि फायदा तो मिल ही रहा है, फिर क्यों मेहनत करें और वही कामचोरी अब चल रही है. मैं ये नहीं कह रहा कि लाल सिंह चड्ढा में मेहनत नहीं होगी लेकिन स्टोरी देखें, तो लगता है कि बिना दिमाग के बनाई गई है.

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