पाकिस्तान के करतारपुर साहिब में स्थापित की गई महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा, भारतीय सिख समुदाय भी अनावरण में हुआ शामिल
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महाराजा रणजीत सिंह की बरसी के सिलसिले में उत्सव में भाग लेने के लिए पिछले सप्ताह भारत से यहां पहुंचे 455 सिख प्रतिमा के उद्घाटन में शामिल हुए. वे करतारपुर में एक दिन रुकेंगे.महाराजा रणजीत सिंह की नौ फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा पहली बार 2019 में लाहौर किले में उनकी 'समाधि' के पास स्थापित की गई थी.
सिख साम्राज्य के पहले शासक, महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा का बुधवार को करतारपुर साहिब में 450 से अधिक भारतीय सिखों की उपस्थिति में अनावरण किया गया. बता दें कि उनकी प्रतिमा को धार्मिक चरमपंथियों ने पहले क्षतिग्रस्त कर दिया था. प्रतिमा को फिर से निर्मित कराकर स्थापित किया गया है. पाकिस्तान और भारत के सिख समुदाय के सदस्यों ने सम्राट की स्थापित प्रतिमा के सामने तस्वीर खिंचवाई.
पंजाब के पहले सिख मंत्री (अल्पसंख्यकों के लिए) और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (पीएसजीपीसी) के अध्यक्ष रमेश सिंह अरोड़ा ने प्रतिमा का उद्घाटन किया. करतारपुर साहिब को गुरुद्वारा दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है और यह लाहौर से लगभग 150 किमी उत्तर पूर्व में भारतीय सीमा के करीब स्थित है. अरोड़ा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ''हमने आज स्थानीय और भारतीय सिखों की मौजूदगी में गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर साहिब में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा स्थापित की है.''
कहां स्थापित की गई प्रतिमा 44 वर्षीय पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) नेता ने कहा कि पुनर्स्थापित प्रतिमा मुख्य रूप से करतारपुर साहिब में रखी गई है ताकि गलियारे का उपयोग करके सीमा पार यहां आने वाले भारतीय सिख भी इसे देख सकें. अरोड़ा ने कहा, "करतारपुर में, सिख नेता की प्रतिमा के लिए भी बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी, जिसे पहले लाहौर किले में तोड़ा गया था."
महाराजा रणजीत सिंह की बरसी के सिलसिले में उत्सव में भाग लेने के लिए पिछले सप्ताह भारत से यहां पहुंचे 455 सिख प्रतिमा के उद्घाटन में शामिल हुए. वे करतारपुर में एक दिन रुकेंगे.महाराजा रणजीत सिंह की नौ फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा पहली बार 2019 में लाहौर किले में उनकी 'समाधि' के पास स्थापित की गई थी. इसे तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कार्यकर्ताओं द्वारा दो बार तोड़ा गया था.
पंजाब के महान सिख शासक की प्रतिमा यूनाइटेड किंगडम की एक संस्था की ओर से प्रांत के लोगों के लिए एक उपहार थी. यह पता चला है कि प्रतिमा, जिसमें घोड़े पर सवार महाराजा को दर्शाया गया है, उसे पूरा होने में आठ महीने लगे और इसे यूनाइटेड किंगडम स्थित इतिहासकार और सिख खालसा (एसके) फाउंडेशन के प्रमुख, बॉबी सिंह बंसल द्वारा प्रायोजित किया गया था. प्रतिमा का अनुमानित वजन 250-330 किलोग्राम बताया जा रहा है. महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के संस्थापक थे, जिन्होंने 19वीं सदी की शुरुआत में उत्तर पश्चिम भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया था.
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