पहले पति की तलाश, दो बार लिव-इन, फिर कत्ल... मां-बेटे की खूनी साजिश से दहली दिल्ली
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आफताब और श्रद्धा लिवइन में रहते थे. लेकिन अंजन दास मर्डर केस में आरोपी महिला एक नहीं बल्कि दो-दो लोगों के साथ लिवइन में रह चुकी थी. तो हम आपको बताने जा रहे हैं श्रद्धा मर्डर केस जैसे एक नए मामले की पूरी कहानी.
दिल्ली में जब 5 जून को आफताब अमीन पूनावाला महरौली के जंगल में श्रद्धा की लाश के बचे हुए टुकड़ों को ठिकाने लगा रहा था, ठीक उसी वक्त महरौली से दूर ईस्ट दिल्ली में एक शख्स की लाश के टुकड़े पुलिस बरामद करती है. उधर, आफताब का फ्रिज खाली हो चुका था. तो दूसरी तरफ अभी भी फ्रिज में लाश के टुकड़े बाकी बचे थे. आफताब और श्रद्धा लिवइन में रहते थे. लेकिन इस मामले में आरोपी महिला एक नहीं बल्कि दो-दो लोगों के साथ लिवइन में रह चुकी थी. तो हम आपको बताने जा रहे हैं श्रद्धा मर्डर केस जैसे एक नए मामले की पूरी कहानी.
5 जून 2022, छतरपुर पहाड़ी, दिल्ली शायद ये वही तारीख थी, जब आफताब ने श्रद्धा की लाश के टुकड़ों की आखिरी किश्त महरौली के जंगलों में ठिकाने लगाई थी. इसके साथ ही आफताब के घर की फ्रिज अब खाली हो चुकी थी. ये आफताब और श्रद्धा की लिव इन की पहली कहानी थी.
5 जून 2022. पांडव नगर, दिल्ली 5 जून को दिल्ली में सिर्फ एक फ्रिज खाली नहीं हुआ था. बल्कि उसी रोज दो फ्रिज खाली हुए थे. दूसरा फ्रिज छतरपुर पहाड़ी से करीब 20 किलोमीटर दूर पांडव नगर के एक घर में रखा था. ठीक श्रद्धा केस की तरह इस केस में भी लाश के टुकड़े किए गए. टुक़ड़ों को फ्रिज में रखा गया और फिर अलग-अलग रातों में उन टुकड़ों को पॉलीथिन में डाल कर पूर्वी दिल्ली के अलग-अलग इलाक़ों में फेंका गया.
इत्तेफाक की बात देखिये कि जब श्रद्धा की लाश के टुकड़ों को दिल्ली पुलिस महरौली के जंगलों में ढूंढ़ रही थी, जब उस फ्रिज और टुकड़ों के बारे में दिल्ली और देश भर में बातें हो रही थीं. आफताब और श्रद्धा की कहानियां टीवी और अखबारों में सुर्खियां बनी हुई थीं. तब ठीक उसी वक्त दिल्ली के एक और घर में दो लोग इस खबर पर बराबर नज़रें गड़ाए बैठे थे. शायद उन्हें पता था कि छतरपुर के घर से निकली कहानी उनके घर में कैद कहानी से हू ब हू मिलती है.
श्रद्धा मर्डर केस जैसी दूसरी कहानी तो चलिए श्रद्धा पार्ट 2 की अब पूरी कहानी आपको बताते हैं. ये कहानी एक महिला की एक शादी और दो लिव इन की है. 5 जून को पांडव नगर पुलिस स्टेशन को एक सूचना मिलती है. खबर ये थी कि रामलीला मैदान की झाड़ियों में प्लास्टिक का एक बैग लावारिस पड़ा है. खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचती है. बैग खोलती है. बैग के अंदर से एक इंसानी पैर मिलता है. वो भी सड़ी गली हालत में. आस पास की तलाशी लेने पर थोड़ी ही दूरी पर प्लास्टिक का एक दूसरा बैग मिलता है. उसमें भी एक पैर था.
लगातार लाश के टुकड़े बरामद इसके बाद अगले तीन चार दिनों तक इसी रामलीला मैदान की झाड़ियों से अलग-अलग कुछ और प्लास्टिक के बैग मिलते हैं. इन सभी बैग से कुल मिलाकर दो पैर, दो जांघ, दो हाथ और एक सिर बरामद होता है. पर चेहरा पहचाने जाने लायक नहीं था. इसके बाद पुलिस की टीम पूरे इलाके को छान मारती है. लेकिन लाश का कोई और टुकड़ा नहीं मिलता. फोरेंसिक टीम की मदद से पुलिस बरामद लाशों के टुकड़ों को लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल में सुरक्षित रखवा देती है. इसके बाद बाकी इलाक़ों की भी तलाशी लेती है. मगर कोई और टुकड़ा नहीं मिलता.
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