नेहरू-एडविना के पत्रों को नहीं जारी करेगी ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी, ब्रिटिश कोर्ट का फैसला
AajTak
ब्रिटेन की एक अदालत ने कहा है कि साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी नेहरू-एडविना और माउंटबेटेन से जुड़े कुछ खास दस्तावेजों को जारी नहीं करेगी. क्योंकि इससे भारत-पाकिस्तान के साथ ब्रिटेन के संबंध प्रभावित हो सकते हैं.
ब्रिटेन के एक ट्रिब्यूनल ने जवाहर लाल नेहरू और माउंटबेटेन की पत्नी एडविना के बीच आदान-प्रदान हुए पत्रों को एक ब्रिटिश लेखक को देने से मना कर दिया है. ब्रिटिश लेखक एंड्रयू लाउनी ने ब्रिटिश कोर्ट से लार्ड माउंटबेटेन और लेडी माउंटबेटेन की निजी डायरी और एडविना माउंटबेटेन और जवाहर लाल नेहरू के बीच लिखे गए पत्रों को रिलीज करने की मांग की थी.
ब्रिटेन के फर्स्ट टायर ट्रिब्यूनल (इनफॉरमेशन राइट्स) जज सोफी बकले ने लेखक एंड्रयू लाउनी की अपील को खारिज कर दिया. इस फैसले के बाद लेखक एंड्रयू लाउनी ने कहा कि मैं नहीं समझता हूं कि कुछ भी सनसनीखेज बचा है, ये गैर मामूली चीजों के लिए बड़ी कानूनी लड़ाई थी."
बता दें कि लार्ड माउंटबेटेन भारत में ब्रिटेन के आखिरी वायसराय थे. भारत को आजादी के दिनों में उनका अहम रोल था. इस दौरान उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटेन भी भारत में रहती थीं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ट्रब्यूनल ने पाया कि साउथहैंम्पटन यूनिवर्सिटी के पास नेहरू और एडविना के बीच भेजे गए चिट्ठियां नहीं हैं. जज ने पाया कि यूनिवर्सिटी लॉर्ड बेब्रोर्न की तरफ से कुछ पेपर्स को संभाल कर रखे हुई थी. यूनिवर्सिटी के पास विकल्प था कि वो इन पत्रों को 100 पाउंड में खरीद सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
बता दें कि लेखक लाउनी ने इस केस को लड़ने के लिए अपने 3 लाख पाउंड खर्च किए. उन्होंने क्राउड फंडिंग भी की. उन्होंने कहा कि वे लोग जो छिपाने की कोशिश कर रहे थे उनमें से उनकी नजर में ज्यादातर चीजें पब्लिक डोमेन में पहले से ही हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार लाउनी को शक है कि दस्तावेजों के जिन हिस्सों को जारी नहीं किया गया है वो पाकिस्तान और भारत से जुड़े हैं. और इनमें संभवत: मुहम्मद अली जिन्ना के लिए एडविना माउंटबेटेन की गहरी नापसंदगी दिखती है.
लेखक लाउनी ने कहा, 'एडविना की प्रकाशित डायरी में जिन्ना के मनोरोगी (Psychopath) होने का जिक्र है, मुझे नहीं लगता कि इससे पाकिस्तान से संबंध प्रभावित होंगे. '
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डोमिनिका के सर्वोच्च पुरस्कार 'डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया. इस सम्मान का आयोजन गुयाना में आयोजित भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन में डोमिनिका की राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन ने किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद इसे भारत के 140 करोड़ नागरिकों को समर्पित किया है. देखें...
इस सम्मान से सम्मानित होने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि गुयाना के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर मैं मेरे मित्र राष्ट्रपति इरफान अली का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं. ये सम्मान केवल मेरा ही नहीं बल्कि भारत के 140 करोड़ लोगों का सम्मान है. यह हमारे संबंधों के प्रति आपकी गहरी प्रतिबद्धता का सजीव प्रमाण है जो हमें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा.
अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टेट के लॉस एंजलेस शहर में यूएस इमिग्रेशन डिपार्टमेंट एक शख्स के ट्रैवल डॉक्यूमेंट चेक कर रहा था. उसके पास भारतीय पासपोर्ट था. पासपोर्ट पर उसका नाम भानू लिखा हुआ था. बाद में खुलासा हुआ कि भानू कोई और नहीं बल्कि लॉरेंस बिश्नोई का छोटा भाई और दस लाख रुपये का इनामी आतंकवादी अनमोल बिश्नोई है.