
'नाटू नाटू' के लिए गोल्डन ग्लोब जीतने वाले एम एम कीरावानी ने हिंदी फिल्मों में दिए हैं ये 10 यादगार गाने
AajTak
म्यूजिक कम्पोजर एम एम कीरावानी को RRR फिल्म के गाने 'नाटू नाटू' के लिए गोल्डन ग्लोब अवार्ड मिला है. इंडिया के टॉप डायरेक्टर राजामौली के लिए उन्होंने 'बाहुबली' फिल्मों के गाने भी बनाए थे. लेकिन इससे पहले वो एम एम करीम के नाम से हिंदी फिल्मों में काम कर चुके हैं और उन्होंने कई यादगार गाने बनाए हैं.
इंडियन सिनेमा के लिए बुधवार को एक बड़ी खुशखबरी आई. एस एस राजामौली की फिल्म 'RRR' में, 'नाटू नाटू' गाने के लिए म्यूजिक कम्पोजर एम एम कीरावानी को 'बेस्ट ऑरिजिनल सॉंग' का अवार्ड मिला है. कीरावानी, राजामौली के कजिन हैं और उन्होंने अपने भाई के साथ 'बाहुबली' 'मगधीरा' और 'ईगा' (मक्खी) पर भी काम किया.
तेलुगू में ज्यादा काम करने वाले एम एम कीरावानी ने हिंदी फिल्मों में भी कई यादगार गाने दिए हैं. हालांकि हिंदी में उन्होंने एम एम करीम के नाम से काम किया और यही वजह है कि बहुत से लोगों को उनकी पहचान के बारे में पता नहीं होता. लेकिन अगर उनके हिंदी गाने, बॉलीवुड फिल्मों के सबसे आइकॉनिक गानों में से हैं.
90s और उसके बाद के गानों की बेस्ट लिस्ट जब भी डिस्कस की जाती है, तो उसमें एम एम कीरावानी (या एम एम करीम) के गाने जरूर होते हैं. बहुत संभव है कि उनके गाने देखने के बाद आप भी चौंक जाएं कि ये गाने कबसे आपके फेवरेट हैं और आपको इनके कम्पोजर के बारे में कुछ पता नहीं था. पेश हैं एम एम कीरावानी के 10 बेस्ट हिंदी गाने: 1. तुम मिले, दिल खिले- क्रिमिनल कीरावानी ने एम एम करीम की पहचान के साथ हिंदी में ये पहला गाना रिकॉर्ड किया था. कुमार सानू की आवाज में गाए हुए इस गाने का मुखड़ा 'तुम मिले, दिल खिले, और जीने को क्या चाहिए' अपने आप में प्यार की पूरी दास्तां है.
2. गली में आज चांद निकला- जख्म ये गाना कितना पॉपुलर है शायद ये बताने की भी जरूरत नहीं है. लंबे इंतजार के बाद पूजा भट्ट के सामने नागार्जुन का आना और साथ में इस गाने का चलना अद्भुत सा लगता है. गाने को सुनते हुए ढोलक की आवाज पर ध्यान दीजिएगा. 'मैंने चांद को आते देखा' लाइन के बाद ढोलक एकदम रुक जाती है और फिर धीरे-धीरे दोबारा उसकी थाप शुरू होती है.

सेंसर बोर्ड ने 'बैड न्यूज' में विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के तीन किसिंग सीन काटकर करीब 27 सेकंड छोटे किए थे. सेंसर बोर्ड पहले भी फिल्मों में कई 'आपत्तिजनक' सीन्स कटवाता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सेंसर बोर्ड्स 125 साल पहले लगी एक आग की वजह से अस्तित्व में आए? पेश है फिल्म सेंसरशिप का इतिहास.