
नहीं बिक रहीं सस्ती गाड़ियां, पहली कार लेने वाले टाल रहे हैं फैसले, SUV का जलवा!
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था का संकेत देने वाली दोपहिया वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2022 में गिरी है. सवारी वाहनों की बिक्री साल दर साल के लिहाज से जुलाई में 11 फीसदी बढ़ी है. कोरोना महामारी ने एंट्री लेवल की कार खरीदने वालों की आमदनी की धारणा पर काफी असर डाला.
कोविड महामारी के बाद देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर (Automobile Sector) में एक बार फिर से चमक लौटती नजर आ रही है. गाड़ियों के प्रोडक्शन और बिक्री के आंकड़ों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इस बीच ऑटो कंपनियां लगातार नई गाड़ियां लॉन्च कर रही हैं. ऑटो बिक्री के डेटा से भी मिली-जुली तस्वीर की झलक मिलती है. सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (SIAM) के मुताबिक, प्रोडक्शन में बढ़ोतरी की बदौलत कार, वैन और यूटिलिटी वाहनों सहित वाहनों की बिक्री एक साल के पहले के मुकाबले अगस्त में 21 फीसदी बढ़कर 2,81,210 यूनिट हो गई. दोपहिया वाहनों की बिक्री 16.63 फीसदी बढ़कर 15.6 लाख यूनिट हो गई.
प्रीमियम सेगमेंट की कारें खूब बिकीं
क्रिसिल के विश्लेषण ने इस रुझान की तस्दीक करते हुए बताया कि 10 लाख रुपये से ऊपर की कीमत वाली या प्रीमियम सेगमेंट की कारें, पिछले वित्त वर्ष में इससे कम कीमत की कारों के मुकाबले पांच गुना ज्यादा तेजी से बिकीं. इसके विपरीत एंट्री लेवल की सवारी कारों, दोपहियों और तिपहिया वाहनों का बाजार अब भी ऊबर नहीं पाया है. कम मांग की एक वजह गिरती आमदनी है, तो रेपो रेट में तीसरी बढ़ोतरी और लगातार महंगाई ने भी दबाव बनाया है.
मिडिल क्लास की बदली धारणा
क्रिसिल का नोट कहता है- 'भारत में पहली बार इस्तेमाल करने वाले या यूज्ड कारों से अपग्रेड करने वाले आम तौर पर कम कीमत वाली कारें खरीदते हैं. महामारी ने एंट्री लेवल की कार खरीदने वालों की आमदनी की धारणा पर काफी असर डाला. ऐसे में खरीद और अपग्रेड के फैसले टाल दिए गए. ऑटो सेक्टर में एकतरफा बहाली की यही वजह है'.
दोपहिया वाहनों बिक्री गिरी

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