नरेंद्र मोदी की नई सरकार इन 3 चुनौतियों से कैसे पार दिलाएगी बीजेपी को
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार के सामने गठबंधन की तो चुनौतियां होंगी हीं पर सबसे बड़ी चुनौती होगी भारतीय जनता पार्टी को अगले चुनावों के तैयार करना . कार्यकर्ताओं का मनोबल तो डाउन हुआ ही है दूसरी ओर कांग्रेस का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ रहा है उससे भी निपटना होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाग्य में रहा है कि वह चुनौतियों का रायता समेटते रहे हैं. एक बार फिर उनके और भारतीय जनता पार्टी के सामने चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं. एक तरफ तो सरकार बचाए रखने की कवायद है दूसरी ओर बीजेपी को फिर से जनता के बीच स्वीकार कराने का यत्न करना है. चीजें हाथ से फिसलती नजर आ रही हैं , उन्हें समेटना आसान नहीं होगा. सुशासन अलग किस्म का चैंलेंज है. और जनता के बीच से चुनकर आना अलग किस्म की चुनौती है. कई बार सुशासन के बावजूद भी जनता स्वीकार नहीं करती है. 2024 लोकसभा चुनावों के परिणाम इतने जटिल हैं कि उन्हें समझना और उन समस्याओं को समझकर उसका निदान करना भी आसान काम नहीं होगा. आइये देखते हैं कि नरेंद्र मोदी की सरकार के सामने कौन सी चुनौतियां हैं और वो उन चुनौतियों से कैसे निपट सकते हैं.
1-कांग्रेस के रिवाइवल का संकेत ,कैसे निपटेंगे
जिन लोगों को अभी भी लगता है कि बीजेपी अपनी कुछ कमियों के चलते हारी है उसमें कांग्रेस को मिलने वाले पॉजिटिव वोट की भूमिका नहीं है. वो मुगालते में हैं. उनको शायद राहुल गांधी की रायबरेली से 4 लाख वोटों से जीत दिखाई नहीं दे रही है. वह भी बिना तैयारी के. अचानक नामांकन के अंतिम दिन आकर महफिल लूट लेना ऐसे ही नहीं हो जाता है. यही बात अमेठी में भी रही. नामांकन के अंतिम दिन गांधी परिवार से बाहर के एक अननोन से शख्स ने बीजेपी की फायरब्रांड ऐसे लीडर को हराया जो 10 सालों से लगातार क्षेत्र में खाक छानती फिर रही थीं. उल्लेखनीय हैं कि स्मृति इरानी की हार भी कोई छोटी-मोटी नहीं थी. करीब एक लाख 65 हजार वोटों से हारी हैं वो चुनाव. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कई ऐसी सीटें जीत गई जहां से कोई नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं था. ये केवल समाजवादी पार्टी के सहयोग के बदौलत नहीं हो सकता था. इस बात को बीजेपी जितनी जल्दी समझ लेगी उसे उतना ही फायदा होगा. 2024 , 2019 और 2014 के चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस में जिन सीटों पर सीधी फाइट हुई उसकी स्ट्राइक रेट देखिए कि कैसे कांग्रेस का फिर से रिवाइवल हो रहा है. 2024 में बीजेपी-कांग्रेस के बीच 286 सीटों पर सीधी लड़ाई हुई. बीजेपी ने 180 सीटों पर जीत दर्ज की और 62.90 फीसदी स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस ने रिकॉर्ड 83 सीटें जीतीं और स्टाइक रेट 29 फीसदी का रहा.
इसी तरह, 2019 में बीजेपी-कांग्रेस के बीच 374 सीटों पर सीधे लड़ाई हुई. बीजेपी ने 257 सीटों पर जीत दर्ज की और 68.70 प्रतिशत चका स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस सिर्फ 31 सीटें ही जीत सकी और 8.30 प्रतिशत स्ट्राइक रेट रहा.
साल 2014 में बीजेपी-कांग्रेस के बीच 370 सीटों पर सीधी लड़ाई हुई और बीजेपी ने 236 सीटों पर जीत दर्ज की. कांग्रेस सिर्फ 36 सीटें ही जीत सकी. बीजेपी का स्ट्राइक रेट 63.80 प्रतिशत रहा. जबकि कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 9.70 प्रतिशत रहा.
2-दलित वोटों में पैठ बनाने की ये कैसी तैयारी
जून 2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर भाजपा के साथ गठबंधन करने वाले शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान’ भी अपने पक्ष में कर लिया था. इस बगावत ने शिवसेना को दो धड़ों में बांट दिया, लेकिन इस चुनाव में शिंदे ने साबित कर दिया कि राज्य की जनता उनके नेतृत्व पर भरोसा करती है.
आज सुबह की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 24 नवंबर, 2024 की खबरें और समाचार: महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावी नतीजे घोषित हो गए हैं. महाराष्ट्र में जहां एक बार फिर महायुति की सरकार बनेगी तो वहीं झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में INDIA ब्लॉक सरकार बनाने जा रहा है. पर्थ टेस्ट में भारत मजबूत स्थिति में पहुंच गया है.
महाराष्ट्र में महायुति की महाविजय हो चुकी है, लेकिन सबसे शानदार प्रदर्शन बीजेपी का रहा है. बीजेपी 132 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी. अब सवाल ये है कि सीएम कौन बनेगा? क्योंकि बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है, तो क्या देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं या फिर एकनाथ शिंदे को ही फिर से सीएम की कुर्सी मिलेगी? देखें मुंबई मेट्रो.