नए आपराधिक कानूनों से आम लोगों को क्या होगा लाभ? जागरूकता फैलाएंगे 45 लाख अधिकारी और कर्मचारी
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आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि 5.65 लाख से अधिक पुलिस, जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन अधिकारियों को भी पिछले साल लागू किए गए नए कानूनों - भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के बारे में प्रशिक्षित किया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय अगले हफ्ते से तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने की तैयारी कर रहा है. इसमें 40 लाख जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को इन कानूनों के बारे में जानकारी हो और इसका सभी पर, खासकर महिलाओं और बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
पीटीआई के मुताबिक बुधवार को आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि 5.65 लाख से अधिक पुलिस, जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन अधिकारियों को भी पिछले साल लागू किए गए नए कानूनों - भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के बारे में प्रशिक्षित किया गया है.
ये कानून, जो 1 जुलाई से लागू होंगे, क्रमशः ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.
सूत्रों ने बताया कि नए आपराधिक कानूनों में जांच, मुकदमे और अदालती कार्यवाही में प्रौद्योगिकी पर जोर दिया गया है, इसलिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने मौजूदा अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) एप्लीकेशन में 23 कार्यात्मक संशोधन किए हैं, जिसके तहत अब देश के हर पुलिस स्टेशन में सभी मामले दर्ज किए जाते हैं. एनसीआरबी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नई प्रणाली में निर्बाध संक्रमण के लिए तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है.
इसके अलावा, एनसीआरबी ने नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की निरंतर समीक्षा और सहायता के लिए 36 सहायता दल और कॉल सेंटर बनाए हैं. क्षमता निर्माण के लिए, पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) ने प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किए हैं और सभी हितधारकों के साथ साझा किए हैं. बीपीआरएंडडी ने 250 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी आयोजित किए, वेबिनार और सेमिनार आयोजित किए, जिनमें 40,317 अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया.
सूत्रों ने बताया कि इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 5,84,174 लोगों की क्षमता निर्माण का काम भी किया है, जिसमें जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन से 5,65,746 पुलिस अधिकारी और कर्मी शामिल हैं. iGOT- कर्मयोगी भारत और BPR&D नए आपराधिक कानूनों पर तीन-तीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चला रहे हैं, जिसके लिए अब तक 2,17,985 अधिकारियों ने नामांकन कराया है.
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