नई संसद का श्रीगणेश, महिला आरक्षण बिल पर मुहर... पांच दिन का विशेष संसद सत्र एक दिन पहले ही खत्म
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संसद का विशेष सत्र तय समय से एक दिन पहले ही खत्म हो गया. लोकसभा के बाद राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पास होने के बाद संसद के दोनों सदनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
संसद का विशेष सत्र तय समय से एक दिन पहले ही खत्म हो गया. राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल 214 वोटों के पास होने के बाद राज्यसभा में राष्ट्रगीत बजा. इसके बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा पहुंचे. फिर थोड़ी देर बाद लोकसभा को भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. खास बात रही कि राज्यसभा में इस बिल के विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा.
18 सितंबर से शुरू हुआ यह सत्र 22 सितंबर तक चलना था. लेकिन यह सत्र 21 सितंबर को ही खत्म कर दिया गया. सत्र की शुरुआत से पहले कई कयास लगाए जा रहे थे. इन कयासों में देश का नाम बदलने से लेकर, UCC, वन नेशन-वन इलेक्शन जैसे कई मुद्दे शामिल थे.
देश का नाम बदलने को लेकर लगाए जा रहे थे कयास
कयास लगाए जा रहे थे कि केंद्र सरकार देश का नाम INDIA से हटाकर सिर्फ भारत रख देगी. हालांकि G20 बैठक से पहले ही सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है. दरअसल देश का नाम बदलने की चर्चा राष्ट्रपति के एक निमंत्रण से शुरू हुई थी. जब राष्ट्रपति ने राजनेताओं को G20 डिनर में शामिल होने का निमंत्रण भेजा तो उसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा हुआ था. इसके बाद विशेष सत्र की तारीख के चयन को लेकर भी चर्चा होने लगी. लेकिन यह सारी चर्चाएं सिर्फ बयानबाजी साबित हुईं.
वन नेशन- वन इलेक्शन को लेकर भी थीं चर्चाएं
इसके अलावा एक चर्चा यह भी थी कि केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बिल लाएगी. हालांकि केंद्र सरकार ने इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी का गठन भी कर दिया है. कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी का नाम भी कमेटी में शामिल था लेकिन अधीर ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था. वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर सरकार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं और विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A. में शामिल पार्टियों के अपने-अपने तर्क हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने इस विशेष सत्र में इससे जुड़ा कोई मु्द्दा नहीं उठाया.
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