दुनिया में भारत से सबसे आगे... IPO से खूब बन रहा है पैसा, अभी कतार में 15 कंपनियां
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इस साल शानदार रिटर्न देने वाले IPOs की तो इस लिस्ट में शामिल प्रमुख नाम हैं एक्सिकॉम टेली जिसने 228.7 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं BLS ने करीब 77 फीसदी और विभोर स्टील के निवेशकों को 68.8 परसेंट रिटर्न मिला है.
भारत में इस साल आए IPOs ने दुनियाभर के दूसरे देशों में आए Initial Public Offers को रिटर्न देने के मामले में काफी पीछे छोड़ दिया है. प्राइम डेटाबेस ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस साल आए IPOs का रिटर्न ग्लोबल एवरेज के मुकाबले दोगुना रहा है. प्राइम डेटाबेस के मुताबिक बीते 6 महीने में आए 36 IPOs ने अपनी लिस्टिंग से लेकर अब तक 57 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है, जबकि एशिया प्रशांत क्षेत्र में आए IPOs ने 32 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं ग्लोबल एवरेज करीब साढ़े 22 फीसदी है.
जुलाई-दिसंबर में आएंगे 15 IPO इन IPOs से निवेशक तो मालमाल हो ही रहे हैं साथ ही कंपनियों के लिए भी फंडिंग जुटाना बेहद आसान हो गया है. प्राइम डेटाबेस के मुताबिक अगले 6 महीनों में 15 और IPOs आने का अनुमान है. इनके जरिए कंपनियां संयुक्त रूप से करीब 91 हजार करोड़ रुपये जुटा सकती हैं जबकि अब तक आए 36 IPOs ने करीब साढ़े 88 हजार करोड़ जुटाए हैं. ये IPO औसतन 12 गुना ओवर सब्सक्राइब हुए हैं. ये ट्रेंड आगे भी इसी तरह जारी रहने का अनुमान है और जिन निवेशकों को IPO में शेयर अलॉटमेंट का मौका मिलेगा वो लिस्टिंग गेन का फायदा उठाकर जल्दी पैसा बना सकते हैं.
बैंकों को भी मिली बड़ी रकम अगर बात करें इस साल शानदार रिटर्न देने वाले IPOs की तो इस लिस्ट में शामिल प्रमुख नाम हैं एक्सिकॉम टेली जिसने 228.7 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं BLS ने करीब 77 फीसदी और विभोर स्टील के निवेशकों को 68.8 परसेंट रिटर्न मिला है. इन IPOs से केवल निवेशकों और कंपनियों को ही फायदा नहीं मिला है, बल्कि इन्वेस्टमेंट बैंकों को भी IPO हैंडल करने के लिए पहली छमाही में 2 हजार 38 करोड़ रुपये की भारी भरकम फीस मिली है जो 17 साल में सबसे ज्यादा है.
फाइनेंशियल मार्केट्स डेटा प्रोवाइडर LSEG डेटा एंड एनालिटिक्स के आंकड़ों के मुताबिक इक्विटी कैपिटल मार्केट एक्टिविटी के जरिये जुटाई रकम ढाई गुना बढ़कर 2.46 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई जो किसी छमाही में सबसे ऊंचा आंकड़ा है. ECM में IPO, ब्लॉक डील जैसी फॉलो-ऑन ऑफरिंग्स, फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग्स और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट्स शामिल हैं.
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