दुनिया के कई बड़े देशों में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ रही नफरत, यह डर है या साजिश?
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ब्रिटेन में पढ़ रहे हिंदू स्टूडेंट्स को हेट क्राइम झेलना पड़ रहा है. यहां तक कि उनपर धर्म बदलने का दबाव बनाया जा रहा है. थिंक टैंक हेनरी जैक्सन सोसाइटी की ये स्टडी ब्रिटेन में बढ़ रहे हिंदूफोबिया की ओर इशारा करती है. कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में हिंदुओं पर हिंसा की खबरें आ रही हैं. माना जा रहा है कि ये एक बड़ी साजिश हो सकती है.
दुनियाभर में धर्म को लेकर कट्टरता बढ़ती दिख रही है. इस बीच एक चौंकाने वाला पैटर्न दिख रहा है, जिसमें अलग-अलग जगहों पर रह रहे हिंदुओं पर धर्म परिवर्तन को लेकर दबाव की बात आ रही है. हालिया स्टडी में लंदन की हेनरी जैक्सन सोसाइटी ने दावा किया कि ब्रिटेन में बसे मुस्लिम स्टूडेंट्स हिंदू धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां करते हैं और उसकी धार्मिक मान्यताओं को हवा-हवाई बताते हुए इस्लाम में कंन्वर्ट होने की बात करते हैं.
क्या हो रहा है ब्रिटेन में? इसके लिए देश के हजार से ज्यादा स्कूलों का सर्वेक्षण और लगभग इतने ही पेरेंट्स से बात की गई. वहां रहने वाले करीब 50% अभिभावकों ने माना कि मजहब के चलते उनके बच्चों को स्कूल में नफरत झेलनी पड़ी. यहां तक कि कई स्कूलों ने भी अपनी अंदरुनी रिपोर्ट में माना कि उनके कैंपस में बीते 5 सालों में हिंदू-विरोधी सोच बढ़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश स्कूलों में पढ़ रहे हिंदू छात्रों को जाकिर नाइक के वीडियो देखने और धर्म परिवर्तन करने को कहा गया.
इस्लामोफोबिया पर हो चुका बवाल इसके पहले इस्लामोफोबिया टर्म खूब कहा-सुना जा रहा था. ये दो शब्दों इस्लाम और फोबिया से मिलकर बना है, मतलब इस्लाम और उसे मानने वालों के खिलाफ डर और नफरत होना. कई देश इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ एकजुट होने के फेर में मुस्लिम धर्म से ही डरने लगे. बात यहां तक बढ़ी कि साल 2022 में यूनाइटेड नेशन्स ने हर 15 मार्च को इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस मनाने का एलान कर दिया. इसका मकसद था, लोगों के मन से इस्लाम को लेकर तर्कहीन डर या गुस्से को कम करना.
इधर कुछ सालों में नया ही ट्रेंड दिख रहा है विदेश में रहकर पढ़ते या काम करते हिंदुओं पर हिंसा हो रही है. उनके कपड़ों या धार्मिक सोच पर कमेंट हो रहे हैं. यहां तक कि उन्हें धर्म परवर्तन के लिए कहा जा रहा है. मीडिया में हिंदुओं को लेकर इस नफरत को नाम दिया गया- हिंदूफोबिया.
इन समुदायों को माना जा रहा साजिश में शामिल इसी साल की शुरुआत में अमेरिकी रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन नेटवर्क कांटेजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (NCRI) ने दावा किया कि बीते समय में तेजी से एंटी-हिंदू नैरेटिव तैयार हुआ और हिंदुओं पर हमले में थोड़ी-बहुत नहीं, लगभग हजार गुना तेजी आई. खासकर अमेरिका में. इंस्टीट्यूट ने ये भी माना कि इन घटनाओं में किसी एक नस्ल या तबके का हाथ नहीं, बल्कि ये मिल-जुलकर किया जा रहा हेट-क्राइम है. इसे मुस्लिम और खुद को सबसे बेहतर मानने वाले श्वेत नस्ल के लोग, दोनों ही कर रहे हैं.
क्या हो सकती है वजह? रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इसकी कई वजहें दीं. श्वेत लोगों के मन में हिंदुओं के लिए गुस्सा भर रहा है तो इसकी वजह है भारतीय मूल के हिंदुओं का लगातार आगे बढ़ना. सिलिकॉन वैली में हिंदू समुदाय काफी ऊंचे पदों पर है. वैली के 15 फीसदी स्टार्टअप के मालिक भारतीय, उसमें भी हिंदू हैं. यहां तक कि अमेरिकी राजनीति और मेडिकल जैसी फील्ड में भी ये लोग दबदबा बना चुके हैं. ऐसे में खुद को सुप्रीम मानती श्वेत नस्ल पर प्रेशर बन चुका है कि वो खुद को आगे लाएं. इसी गुस्से और चिड़चिड़ाहट में हेट-क्राइम की शुरुआत हो गई.
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