दिल्ली में लॉकडाउन का डीएसजीएमसी चुनाव पर असर, क्या टल जाएगी वोटिंग?
AajTak
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लॉकडाउन का सियासी असर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (डीएसजीएमसी) चुनाव पर भी पड़ता हुआ दिख रहा है. डीएसजीएमसी का चुनाव 25 अप्रैल रविवार को होना है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या डीएसजीएमसी चुनाव कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते आगे के लिए क्या टाला जा सकता है?
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने दिल्ली में सोमवार रात दस बजे से 26 अप्रैल तक के लिए राजधानी में लॉकडाउन लगा दिया है. केजरीवाल के लॉकडाउन का सियासी असर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (डीएसजीएमसी) चुनाव पर भी पड़ता हुआ दिख रहा है. डीएसजीएमसी का चुनाव 25 अप्रैल रविवार को होना है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या डीएसजीएमसी चुनाव कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते आगे के लिए क्या टाला जा सकता है? कोरोना संकट के बीच दिल्ली में डीएसजीएमसी के चुनाव को लेकर उपराज्यपाल को अंतिम फैसला लेना है, लेकिन इसके लिए दिल्ली सरकार ने पहल कर दी है. दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव विभाग ने चुनाव निदेशालय को निर्देश जारी कर दिया है. साथ ही विभाग की तरफ से उपराज्यपाल को पत्र लिखकर चुनाव स्थगित करने की सिफारिश की गई है. वहीं, सिख संगठन भी डीएसजीएमसी चुनाव टालने की अपील कर चुके हैं.भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन के साथ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में शानदार जीत दर्ज की है. इस मौके पर नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में जश्न का माहौल है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भी पहुंचे. पीएम ने इस दौरान बताया कि महाराष्ट्र में महायुति की जीत क्यों ऐतिहासिक है? देखें.
पिछले हफ्ते तक कैलाश गहलोत अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री थे. उन्होंने न केवल मंत्री पद से इस्तीफा दिया, बल्कि आप पार्टी भी छोड़ दी. इसके अगले ही दिन बीजेपी ने उन्हें बड़े धूमधाम से पार्टी में शामिल कर लिया. कैलाश गहलोत ने हाल ही में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी के एक बड़े विरोध प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे अब पूरी तरह से बीजेपी के साथ हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में शानदार जीत दर्ज की है. इस मौके पर नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में जश्न का माहौल है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भी पहुंचे. पीएम मोदी ने जय भवानी, जय शिवाजी' के जयघोष के साथ अपना संबोधन शुरू किया.
गवर्नर कार्यालय ने स्पष्ट किया कि मूर्ति का अनावरण गवर्नर द्वारा नहीं किया गया था, बल्कि यह मूर्ति कलाकार और भारतीय संग्रहालय द्वारा भेंट के रूप में दी गई थी. इसके बावजूद, इस घटना ने एक राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जहां यह सवाल उठाया जा रहा है कि कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए अपनी मूर्ति कैसे लगा सकता है.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.