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त्रिपुरा में 'शांति समझौते' पर लगी मुहर, अमित शाह की मौजूदगी में NLFT और ATTF ने किया साइन
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इस समझौते के बाद NLFT ने कहा कि हमने सरकार पर भरोसा किया है. इसलिए 30 साल का सशस्त्र संघर्ष समाप्त कर रहे हैं. हमने अपनी शर्तों को साझा किया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बुधवार को भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) के प्रतिनिधियों ने त्रिपुरा शांति समझौते के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. इस समझौते के बाद NLFT ने कहा कि हमने सरकार पर भरोसा किया है. इसलिए 30 साल का सशस्त्र संघर्ष समाप्त कर रहे हैं. हमने अपनी शर्तों को साझा किया है. हमें गृहमंत्री पर भरोसा है.
क्या बोले त्रिपुरा सीएम माणिक साहा त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने इस शांति समझौते के लिए गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि इस शांति समझौते के लिए गृहमंत्री सूत्रधार साबित हुए हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में उत्तर पूर्व में एक दर्जन से ज्यादा शांति समझौते हुए हैं जिसमें 3 समझौते त्रिपुरा के लिए हैं. त्रिपुरा का भविष्य उज्ज्वल है. हम पीएम मोदी का भी धन्यवाद देते हैं.
क्या बोले अमित शाह गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस समझौते से इन दोनों संगठनों के 328 लोग मुख्यधारा में आएंगे. 250 करोड़ का पैकेज त्रिपुरा के इस इलाके के लिए होगा. इस समझौते की हर बात का पालन किया जाएगा. आज हम सबके लिए गर्व का विषय है कि 35 साल से जो संघर्ष चल रहा था वो खत्म हो गया. यह सब शांति और संवाद के जरिए हो सका है. पीएम मोदी ने नार्थ ईस्ट से दिलों का फासला दूर किया है. अमित शाह ने कहा कि ये समझौता कागज का टुकड़ा नहीं बल्कि दिलों का मेल है.
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मार्च में भी हुआ था समझौता बता दें कि त्रिपुरा के मूल निवासियों की समस्याओं का स्थायी समाधान लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी इसी साल मार्च माह के दौरान TIPRA मोथा, त्रिपुरा और केंद्र सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार समझौते के तहत त्रिपुरा के मूल निवासियों के इतिहास, भूमि, राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति और भाषा से संबंधित सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने पर सहमति व्यक्त की गई थी. इस दौरान अमित शाह ने कहा था कि मैं त्रिपुरा के सभी हितधारकों को आश्वस्त करता हूं कि अब आपको अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा. भारत सरकार आपके अधिकारों की सुरक्षा के लिए तंत्र बनाने में दो कदम आगे रहेगी.
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इंडिया टुडे ग्रुप के डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने अमेरिकी फंडिंग पर एक बड़ा खुलासा किया है. 2001 से 2024 के बीच भारत को 2.9 बिलियन डॉलर की फंडिंग मिली, जिसमें से 1.3 बिलियन डॉलर पिछले 10 वर्षों में आए. चुनावी प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए 2013 से 2018 के बीच 4,84,000 डॉलर खर्च किए गए. यह जानकारी अमेरिकी सरकार की आधिकारिक वेबसाइट से ली गई है. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दावा किए गए 23 मिलियन डॉलर के आंकड़े की पुष्टि नहीं हो पाई है.
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साल 2001 से 2024 के बीच, USAID ने भारत को कुल 2.9 बिलियन डॉलर दिए हैं. यह सालाना औसतन 119 मिलियन डॉलर है. इस राशि का 1.3 बिलियन डॉलर या 44.4 फीसदी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार (2014-2024) के दौरान दिया गया था. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार (2004-2013) के दौरान, भारत को 1.2 बिलियन डॉलर या 41.3 प्रतिशत अनुदान मिला.
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