टाटा-बिड़ला नहीं... जानिए सबसे पुरानी हिंदुस्तानी कंपनी कौन? 300 साल का इतिहास.. अंग्रेजों के लिए बनाती थी जहाज!
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Oldest Indian Company: भारत में बिजनेस ग्रुप भी आजादी के पहले शुरू हुए थे, लेकिन इनमें से कोई भी भारत का सबसे पुराना कारोबारी ग्रुप नहीं है. देश की सबसे पुरानी की स्थापना साल 1736 में की गई थी यानी आज से करीब 300 साल पहले.
देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों (India's Oldest Business Conglomerates) की बात होती है, तो जुबां पर Tata-Birla या बजाज का नाम पहले आता है. ये बिजनेस ग्रुप भी आजादी के पहले शुरू हुए थे, लेकिन इनमें से कोई भी भारत का सबसे पुराना कारोबारी ग्रुप नहीं है. जी हां, दरअसल, ये तमगा वाडिया ग्रुप (Wadia Group) के नाम है, जिसकी स्थापना साल 1736 में की गई थी यानी ये करीब 300 साल पुरानी है. इसके फाउंडर लोवजी नुसरवानजी वाडिया थे. इस कंपनी का डंका आज दुनिया में बजता है और इसका कारोबार बिस्किट से लेकर हवाई जहाज तक फैला हुआ है.
ब्रिटिश नौसेना के लिए जहाज बनाती थी कंपनी वाडिया समूह (Wadia Group) का शुरुआती कारोबार पानी के जहाज निर्माण का रहा है. लोवजी नुसरवानजी वाडिया (Loeji Nusserwanjee Wadia) द्वारा शुरू किया गया ये पहला बिजनेस था, जो 1736 में शुरू किया था. रिपोट्स के मुताबिक, कंपनी द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए 355 जहाज बनाए गए थे, इंग्लैंड के बाहर ब्रिटिश नेवी के लिए पहले जहाज के निर्माण का श्रेय भी वाडिया ग्रुप को ही जाता है.
भारत में अंग्रेजों की कब हुई थी एंट्री? यहां पर ये जान लेना जरूरी है कि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में East India Company की एंट्री कब हुई थी. तो बता दें यूरोप को भारत से जोड़ने वाला समुद्री मार्ग 1498 में तब सुर्खियों में आया था, जब पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को डी गामा कालीकट पहुंचा था. इसके बाद अंग्रेज 24 अगस्त, 1608 को भारत में प्रवेश करके सूरत पहुंचे थे. इसके बाद मुगल सम्राट जहांगीर ने 1613 में कैप्टन विलियम हॉकिन्स को सूरत में एक फैक्ट्री स्थापित करने की इजाजत दी थी.
1615 में जेम्स प्रथम के राजदूत थॉमस रो ने पूरे मुगल साम्राज्य में व्यापार करने और कारखाने स्थापित करने के लिए जहांगीर से एक शाही फरमान प्राप्त कर लिया. फिर धीमे-धीमे ईस्ट इंडिया कंपनी का साम्राज्य बढ़ता गया और फिर 1757 से लेकर 1947 तक अंग्रेजों का ही कब्जा रहा.
साल 1863 में ग्रुप ने किया कारोबार विस्तार करीब 130 साल तक वाडिया ग्रुप जहाज निर्माण के काम में रही और 1863 में कारोबार का विस्तार करते हुए ट्रेडिंग का काम शुरू किया. ग्रुप ने बॉम्बे बुरमाह ट्रेडिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (BBTCL) की स्थापना की, जो कि पहले ये टीक की लकड़ी की ट्रेडिंग करती थी, लेकिन फिर धीमे-धीमे चाय, कॉफी और अन्य जरूरी सामानों की ट्रेडिंग करने लगी. इसके बाद वाडिया ग्रुप की बॉम्बे डाइंग अस्तित्व में आई, चादरों और तौलियों का ब्रांड Bombay Dyeing आज भी उतना ही फेमस है, जितना पहले थे. इस टेक्सटाइल कंपनी ने स्थापना 1879 में की गई थी. नौरोजी वाडिया (Nowrojee Nusserwanjee Wadia) द्वारा शुरू किया गया टेक्सटाइल बिजनेस चल निकला, ये वो समय था जबकि देश में मशीन से बने कपड़ों का व्यापार फलने-फूलने लगा था.
Britannia बिस्किट भी वाडिया ग्रुप की देन वाडिया ग्रुप का बिजनेस आगे बढ़ने पर Wadia Family ने इसे दूसरे सेक्टर्स तक फैलाने का प्लान तैयार कर लिया था. इसके तहत वाडिया ग्रुप की ओर से 1892 में कोलकाता में महज 295 रुपये के निवेश से एक फैक्ट्री में बिस्किट बनाना शुरू कर दिया गया. आज ये कंपनी FMCG फर्म में तब्दील हो चुकी है. जी हां हम बात कर रहे हैं Britannia की, हालांकि ये 1918 में ये एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई. इस कंपनी की ओनरशिप कई कंपनियों के पास रही, लेकिन 1990 में आखिर ये फिर से वाडिया ग्रुप का हिस्सा बन गई. ये भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड देश की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक है.
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