जेल में ही परीक्षा दे सकेगा ट्रेन ब्लास्ट का आरोपी, मुंबई यूनिवर्सिटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया प्लान
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7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट के दोषी मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी को कानून के दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल होना था, लेकिन चार विषयों के पेपरों में से वह दो में चूक गया और अब तक एक में ही शामिल हुआ है. अंसारी की ओर से पेश वकील मिहिर देसाई और पृथा पॉल ने कहा कि उनकी एक परीक्षा छूट गई थी.
मुंबई विश्वविद्यालय ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वह मुंबई के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज से नासिक रोड सेंट्रल जेल में एक परीक्षक भेजेगा ताकि 7/11 ट्रेन विस्फोट का दोषी अपनी कानून की परीक्षा दे सके. यह परीक्षा 12 जून को जेल में ही होनी है.
विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रुई रोड्रिग्ज और अतिरिक्त लोक अभियोजक मनकुवर देशमुख ने कहा कि एक परीक्षक नासिक जेल पहुंचेगा, और परीक्षा जेल के अंदर एक अलग कमरे में आयोजित की जाएगी. प्रश्न पत्र परीक्षा से लगभग 15 मिनट पहले जेल अधीक्षक को ऑनलाइन भेजा जाएगा, जो फिर प्रिंटआउट लेगा और परीक्षक को प्रश्न पत्र सौंप देगा. परीक्षा समाप्त होने के बाद उत्तर पुस्तिका परीक्षक द्वारा सिद्धार्थ कॉलेज में जमा कर ली जाएगी.
7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट के दोषी मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी को कानून के दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल होना था, लेकिन चार विषयों के पेपरों में से वह दो में चूक गया और अब तक एक में ही शामिल हुआ है. अंसारी की ओर से पेश वकील मिहिर देसाई और पृथा पॉल ने कहा कि उनकी एक परीक्षा छूट गई थी. यह परीक्षा 9 मई को होनी थी, लेकिन एस्कॉर्ट ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी हाल के संसदीय चुनाव के दौरान व्यस्त थे और जब तक वे अंसारी को नासिक से मुंबई परीक्षा केंद्र ला सके, परीक्षा पहले ही समाप्त हो चुकी थी.
इसीलिए मुंबई विश्वविद्यालय ने जेल अधिकारियों के साथ बैठक कर यह समाधान निकाला. मानकुवर ने कहा कि जेल में बंद कुछ लोग "कट्टर अपराधी" हैं और राज्य के लिए उन्हें परीक्षा देने के लिए बाहर लाना बहुत मुश्किल हो जाता है. "इन आरोपियों के लिए भारी पुलिस सुरक्षा के कारण, एस्कॉर्ट शुल्क प्रति दिन लगभग 81,000 रुपये है, और इससे परीक्षा केंद्र पर भी बहुत परेशानी होती है. इसलिए, भविष्य में भी जब कैदियों को परीक्षा देने के लिए बाहर ले जाना होगा तो इस तरह का सिस्टम प्रयोग में लाया जा सकता है. हालांकि रोड्रिग्ज ने यह भी कहा कि इसे मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए.
जस्टिस भारती डांगरे और मंजूषा देशपांडे की बेंच ने कहा, अगर लोग अपनी शैक्षणिक योग्यता में सुधार करना चाहते हैं, तो ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं. वैसे भी जब आरोपियों को परीक्षा केंद्रों पर ले जाना होता है तो यह बहुत ज्यादा जिम्मेदारी भरा होता है. रोड्रिग्ज ने तब सुझाव दिया कि कानून जैसे पेशेवर पाठ्यक्रम के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को पार्टी प्रतिवादी के रूप में शामिल किया जाए, ताकि कोई समाधान निकाला जा सके. पीठ ने सहमति जताते हुए कहा कि वह अंसारी की वह याचिका को लंबित रखेगी और भविष्य में व्यापक मुद्दे पर विचार करेगी. अंसारी की याचिका पर एक जुलाई को फिर सुनवाई होगी.
पीठ ने इस बात की भी सराहना की कि जेल उप महानिरीक्षक सकारात्मक रुख लेकर आए हैं और एक नीति बनानी होगी ताकि हर बार ऐसे आवेदन दाखिल करने की जरूरत न पड़े. इस बीच, अंसारी अपने अगले सेमेस्टर की परीक्षा के दौरान छूटी हुई परीक्षा में शामिल होगा.
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