
जहान के एक्टर बनने में था दादा शशि कपूर का हाथ? बताया बचपन में उनके स्टारडम का नहीं था अंदाजा
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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में एक्टर जहान कपूर ने शिरकत की. कपूर खानदान के सदस्यों में से एक जहान को नेटफ्लिक्स की हिट सीरीज 'ब्लैक वारंट' में देखा गया था. जहान कपूर ने बताया कि जेलर सुनील गुप्ता के किरदार के लिए उन्होंने कैसे तैयारी की थी. साथ ही उनके परिवार का उनके एक्टर बनने में कितना हाथ था.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में एक्टर जहान कपूर ने शिरकत की. कपूर खानदान के सदस्यों में से एक जहान को नेटफ्लिक्स की हिट सीरीज 'ब्लैक वारंट' में देखा गया था. इस शो में अपने जबरदस्त काम के लिए उन्हें सराहना मिली. ऐसे में जहान कपूर ने बताया कि जेलर सुनील गुप्ता के किरदार के लिए उन्होंने कैसे तैयारी की थी. साथ ही उनके परिवार का उनके एक्टर बनने में कितना हाथ था.
जहान इंडस्ट्री में आए नए कपूर हैं. इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'यहां नया कपूर होना काफी दिलचस्प है. ये अच्छी बात भी है और बुरी भी. ये दो धारी तलवार जैसा है. इसमें प्रेशर है, उम्मीद है, लेकिन साथ ही माफी भी है. चीजें पाने का जरिए भी है. अच्छी बात है ये है कि मैं ये कहते हुए खुश हूं कि मेरे पेरेंट्स ने इस बात का ख्याल रखा कि मैं वो भार अपने कंधों पर लेकर नहीं चल रहा हूं और मुझे सिखाया गया है कि कैसे अपने काम के लिए कर्मठ होना जरूरी है.'
कजिन के स्टारडम का पड़ता है असर?
एक्टर से पूछा गया कि आप मुंबई के लड़के हैं. आपके कजिन रणबीर कपूर और करीना कपूर हैं. क्या आपके ऊपर उनके स्टारडम का जोर पड़ता है? इसपर जहान ने कहा, 'मैं आपको बताना चाहता हूं कि जैसे भी वो दिखते हैं, वो सभी बहुत मेहनती लोग हैं. वो जो करते हैं उसके लिए जुनून भी रखते हैं. फेम और सेलिब्रिटी उसका एक बाय प्रोडक्ट है. तो ये उनकी चिंता का सोर्स नहीं है. वो इस बारे में सोचते हैं कि कैसे बड़ी और पैशन भरी जिंदगी को जिया जाए. साथ ही सिनेमा, स्टोरी और आर्ट को सर्व किया जाए. फिर आप समाज का प्रतिनिधित्व भी करते हैं और शोबिज का गेम भी खेलते हैं.'
इंडस्ट्री में आना था आसान?
जहान से पूछा गया कि इंडस्ट्री में आना और काम करना क्या उनके लिए आसान रहा है? इसपर उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि चीजें मेरे लिए आसान रही हैं. क्योंकि मुझे नहीं लगता कि किसी के लिए भी चीजें आसान होती हैं. ये डिपेंड करता है. मैं खुद के बारे में बात कर सकता हूं. मुझे कुछ मौके दिए गए थे लेकिन सबकुछ नहीं. मैं खुद के पैरों पर खड़ा होना चाहता था. मुझे प्रोत्साहित अलग तरह से किया गया था. मुझे थिएटर का एक्सेस था. मैं पृथ्वी थिएटर के साथ गहराई से जुड़ा हुआ हूं. कैसे उसमें काम होता है और उसकी ग्रोथ हो रही है, मैं देख रहा हूं. मेरे लिए लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना मुश्किल था. मेरे लिए ये फैसला करना मुश्किल था कि मुझे क्या करना चाहिए. मुझे बस ये पता था कि मैं इस जादुई दुनिया का हिस्सा बनना चाहता हूं. और मुझे सीखना पसंद है. मैं उस तरह से काफी पढ़ाकू हूं. मैं पढ़ता हूं, चीजें सीख रहा हूं, लोगों से बात कर रहा हूं, रिहर्सल देख रहा हूं, फिल्में देख रहा हूं, ऐसे इवेंट्स को देख रहा हूं. मैं लोगों में दिलचस्पी रखता हूं. समाज और अपने आसपास की जिंदगी को हम रिफ्लेक्ट करने की कोशिश करते हैं. तो ये गहरा प्रोसेस है. लेकिन आसान नहीं है.'

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