
जब RRR के कम्पोजर एम एम कीरावानी ने जिंदा रहने के लिए बदली पहचान, नए नाम से दिए 'गली में आज चांद निकला' जैसे हिट गाने
AajTak
म्यूजिक कम्पोजर एम एम कीरावानी को RRR के गाने 'नाटु नाटु' के लिए गोल्डन ग्लोब अवार्ड मिला है. अधिकतर तेलुगू में काम करने वाले कीरावानी ने हिंदी में भी कई यादगार गाने दिए, लेकिन लोगों इस बारे में कम ही याद रहता है. वो इसलिए क्योंकि हिंदी में उन्होंने नाम बदलकर काम किया. उन्होंने जान बचाने के लिए अपनी पहचान बदली थी.
अगर आप हिंदी फिल्मों के दर्शक हैं तो 'क्रिमिनल' फिल्म का 'गली में आज चांद निकला' गाना आपने जरूर सुना होगा. हो सकता है कि फिल्म आपने शायद न देखी हो, मगर ये गाना आपको फिर भी पता होगा. अगर नहीं पता तो फिर केके की आवाज में गाया हुआ 'आवारापन बंजारापन' ही याद होगा. ये भी नहीं पता तो 'जादू है नशा है' ही पता होगा. मतलब ये कि म्यूजिक कम्पोजर एम एम करीम का कोई न कोई गाना आपके ऑल टाइम फेवरेट्स की लिस्ट में जरूर होगा.
लेकिन क्या आपको यादगार हिंदी गाने बनाने वाले एम एम करीम का चेहरा याद है? बहुत ज्यादा चांस हैं कि आपने उनका चेहरा नहीं देखा होगा. अगर देखना है तो RRR के लिए गोल्डन ग्लोब जीतने वाले म्यूजिक कम्पोजर एम एम कीरावानी का चेहरा देख लीजिए. एम एम करीम और एम एम कीरावानी एक ही शख्स का नाम है. तमिल और मलयालम में इन्हीं म्यूजिक कम्पोजर को मरगाथा मणि के नाम से भी जाना जाता है. एक ही आदमी अलग-अलग फिल्म इंडस्ट्रीज में अलग-अलग नामों से काम कर रहा था और सभी भाषाओं में यादगार गाने बनाए. लेकिन नामों की कहानी ऐसी थी कि जिसे एक नाम पता था उसे दूसरा नहीं.
नामों का गोलमाल हिंदी की आइकॉनिक कॉमेडी फिल्म 'गोलमाल' तो आपको याद ही होगी, जिसमें अमोल पालेकर की दो अलग-अलग पहचान को लेकर बहुत कन्फ्यूजन होती है. एम एम कीरावानी के अलग-अलग नामों की वजह से भी ऐसा कन्फ्यूजन हो चुका है.
एक किस्सा ये है कि तेलुगू फिल्मों के सबसे बड़े प्रोड्यूसर्स में से एक रामोजी राव ने कीरावानी को पहला बड़ा मौका दिया था. उन्हें कीरावानी का काम पसंद आया तो अपने प्रोडक्शन में बनने वाली कई फिल्मों के लिए उन्होंने कम्पोजर को साइन कर लिया. लेकिन इन फिल्मों में से एक के डायरेक्टर के साथ कीरावानी के क्रिएटिव डिफरेंस हुए और वो फिल्म से अलग होना चाहते थे.
राव को इस बात पर गुस्सा आ गया. उन्होंने अपने साथ काम करने वालों में से एक को बुलाया और कहा कि कीरावानी को रिप्लेस करने का वक्त आ गया है. रामोजी राव को हिंदी फिल्म 'सुर' के गाने बहुत पसंद आए थे और वो फिल्म के कम्पोजर से बहुत इम्प्रेस थे. राव ने तय किया कि 'सुर' के गाने कम्पोज करने वाले एम एम करीम को मौका दिया जाए. लेकिन फिर उन्हें पता चला कि दोनों एक ही आदमी हैं!
नामों का ये कन्फ्यूजन 'सुर' के गाने लिखने वाले मशहूर शायद निदा फाजली को भी झेलना पड़ा. वो अपनी फिल्म के कम्पोजर से मिलने चेन्नई गए, लेकिन उन्हें बहुत मुश्किल हुई. क्योंकि फाजली साहब चेन्नई में करीम को खोज रहे थे, लेकिन यहां इस नाम का कोई था ही नहीं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि जब उन्हें पता चला कि कीरावानी तीन नामों से काम करते हैं तो उन्होंने उनसे पूछा 'आप क्या खुद को भगवा समझते हैं?'

सेंसर बोर्ड ने 'बैड न्यूज' में विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के तीन किसिंग सीन काटकर करीब 27 सेकंड छोटे किए थे. सेंसर बोर्ड पहले भी फिल्मों में कई 'आपत्तिजनक' सीन्स कटवाता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सेंसर बोर्ड्स 125 साल पहले लगी एक आग की वजह से अस्तित्व में आए? पेश है फिल्म सेंसरशिप का इतिहास.